Jhulawala Baba kabutar wale baba
Jhulawala Baba kabutar wale baba प्रयागराज में चल रहे धर्म और अध्यात्म के महाकुंभ में कदम-कदम पर आस्था और भक्ति के रंग बिखरे हुए हैं. कहीं भजन और साधना करते भक्त हैं तो कहीं जप और तप में लीन साधु-संत हैं. प्रयागराज का ये महाकुंभ साधु संतों की वजह से भी चर्चा में है.
कबूतर वाले बाबा भी महाकुंभ में आए
इन्हीं में एक हैं कबूतर बाबा. जिन्होंने अपनी जटाओं पर कबूतर को धारण कर रखा है और इसी के साथ इन्होंने पहला अमृत स्नान भी किया है. जूना अखाड़े से ताल्लुक रखने वाले कबूतर बाबा ने बताया कि वो पिछले 9 सालों से अपने सिर पर इस कबूतर को साथ लेकर चलते हैं. बाबा का कहना है कि ये कबूतर खास बिसलेरी का पानी पीता है. ये काजू और बादाम भी खाता है. कबूतर दो बार खाना खाता है. समय-समय पर कबूतर नीचे भी आता है. बाबा का मकसद लोगों को जीव सेवा का संदेश देना है.
झूले पर बैठकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं झूले वाले बाबा
अजब-गजब बाबाओं की इस फेहरिस्त में झूले वाले बाबा का नाम भी शामिल है. रुपेश पुरी ऊर्फ झूले वाले बाबा पिछले 6 सालों से झूले पर हठ योग कर रहे हैं. वो झूले पर ही सोते हैं और झूले पर बैठकर ही अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. झूले वाले बाबा ये हठ योग लोक कल्याण के मकसद से कर रहे हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही ऊटपटांग सवाल पूछने के कारण उन्होंने एक यूट्यूबर की पिटाई भी कर दी थी.
साधु-संतों का जीवन आसान नहीं
साधु-संतों का ये वैरागी जीवन आसान नहीं हैं. बावजूद इसके सनातन धर्म को मानने वाले लोग ही नहीं बल्कि, दूसरे धर्म और संप्रदाय के लोग भी खुशी-खुशी सांसारिक मोह माया को छोड़ धर्म और अध्यात्म के इस रास्ते पर चल रहे हैं, जिसकी मिसालें इस महाकुंभ के दौरान देखने को मिल रही है.