scorecardresearch

Maha Shivratri 2022 Special: देश में बसे हैं महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग धाम, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं, जानिए महत्व

महाशिवरात्रि की बहुत मान्यता है. कहते हैं कि इस दिन व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है. और महाशिवरात्रि के दिन देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों की छटा भी अलग ही होती है. शिवजी के धामों में ज्योतिर्लिंगों का महत्व बहुत ही ज्यादा है. देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिन्हें भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इन 12 जगहों पर भगवान शिव ने खुद दर्शन दिए हैं. इसलिए इनकी महिमा इतनी ज्यादा है कि इनके दर्शन मात्र से ही लोगों के सभी काम बन जाते हैं. 

एक मार्च को है महाशिवरात्रि एक मार्च को है महाशिवरात्रि
हाइलाइट्स
  • महादेव शिव के धाम हैं 12 ज्योतिर्लिंग

  • दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

भारत में हर साल महशिवरात्रि का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 1 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के मौके पर बहुत से श्रद्धालु व्रत करते हैं. कई जगहों, मंदिरों पर मेले लगते हैं. देश के हर एक छोटे-बड़े मंदिर को सजाया जाता है. 

कई जगह भोलेनाथ और माता पार्वती की झांकियां भी निकलती हैं. महाशिवरात्रि की बहुत मान्यता है. कहते हैं कि इस दिन व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है. और महाशिवरात्रि के दिन देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों की छटा भी अलग ही होती है. 

जी हां, शिवजी के धामों में ज्योतिर्लिंगों का महत्व बहुत ही ज्यादा है. देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिन्हें भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इन 12 जगहों पर भगवान शिव ने खुद दर्शन दिए हैं. इसलिए इनकी महिमा इतनी ज्यादा है कि इनके दर्शन मात्र से ही लोगों के सभी काम बन जाते हैं. 

आज हम आपको बता रहे हैं 12 ज्योतिर्लिंग धामों के बारे में: 

सोमनाथ, गुजरात: 

भारत का सबसे, पहला प्रसिद्ध और बड़ा ज्योतिर्लिंग है सोमनाथ. गुजरात में स्थित सोमनाथ भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है. सोमनाथ का मतलब है सोम के नाथ. शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर उन्होंने शिव जी की पूजा और तप किया. 

शिवजी ने ही चन्द्रमा को श्राप से मुक्ति दिलाई. ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी.

काशी विश्वनाथ, उत्तर प्रदेश: 

भारत में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर है. भगवान शिव को समर्पित, यह ज्योतिर्लिंग मंदिर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है. शिव मंदिरों में सबसे पवित्र कहे जाने वाले विश्वनाथ का अर्थ है ‘समस्त ब्रह्मांड के नाथ’. 

महा शिवरात्रि उत्सव के अवसर पर, यह घाट दुनिया भर के शिव भक्तों से भर जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने महाशिवरात्रि पर देवी पार्वती से शादी की थी, यह दिन खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है. 

महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है. महाकालेश्वर की मूर्ति को ‘दक्षिणामूर्ति’ के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह दक्षिण की ओर है. भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकाल के लिंगम को ‘स्वयंभू’ (स्वयं से पैदा हुआ) माना जाता है. महा शिवरात्रि के अवसर पर, भगवान शिव भक्त पूरी रात मंदिर में पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि महाकाल शिव का उज्जैन शहर पर आशीर्वाद है. 

मल्लिकार्जुन, आंध्र प्रदेश

श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है. महादेव को ही मल्लिकार्जुन के नाम से जाना जाता है. महा शिवरात्रि श्रीशैलम मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. पौराणिक कथा के अनुसार, शिव और पार्वती श्रीशैलम में अपने पुत्र कार्तिकेय के करीब रहने के लिए रुके थे. जो क्रावुंजा पर्वत पर अकेले रह रहे थे. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग एशिया के सबसे बड़े भगवान शिव के मंदिरों में से एक है. 

ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के एक द्वीप मान्धाता में स्थित है. "ओंकारेश्वर" नाम द्वीप के आकार पर आधारित है, जो दिखने में ओम आकृति का है. भगवान शिव के दो मुख्य मंदिर हैं - ओंकारेश्वर, जिसका शाब्दिक अर्थ है "ओंकार के भगवान या ओम ध्वनि के भगवान" और दूसरा है, अमरेश्वर जो "अमरता का स्वामी" है.  यह मध्य प्रदेश में दूसरा ज्योतिर्लिंग मंदिर है. 

केदारनाथ, उत्तराखंड

इस ज्योतिर्लिंग मंदिर तक जाना सबसे कठिन है. उत्तराखंड के ऋषिकेश से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिरतक पहुंचना अपने आप में एक परीक्षा है. यहां साल में सिर्फ छह महीने ही जाया जा सकता है. इसे पांडवों ने बनाया था और आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर को पुनर्जीवित किया.
 
भीमाशंकर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में भीमाशंकर मंदिर पुणे में स्थित है. यह खेड़ा तालुका में भीमाशंकर पहाड़ियों में भीमा नदी का स्रोत भी है. नागर शैली की स्थापत्य कला में निर्मित यह मंदिर 18वीं शताब्दी का है. मान्यता है कि प्राचीन मंदिर एक स्वयंभू लिंग के ऊपर बनाया गया था. 

बैद्यनाथ, झारखंड

बैद्यनाथ मंदिर या बाबा बैद्यनाथ धाम या बस बाबा धाम भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास स्थान है. यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है. ज्योतिर्लिंग का नाम ‘वैद्य’ पड़ा क्योंकि भगवान शिव ने राक्षस राजा, रावण को ठीक किया था. वह सबसे बड़े शिव उपासक थे. यहां लगने वाले श्रवण मेले में भाग लेने के लिए लाखों तीर्थयात्री आते हैं, और महा शिवरात्रि भी मंदिर में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है. 

रामनाथस्वामी, तमिलनाडु

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत में सबसे अधिक पूजे जाने वाले और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंगम को स्वयं भगवान राम ने युद्ध में एक ‘ब्राह्मण’ रावण को मारने के लिए बनाया था.

उन्होंने हनुमान से कैलाश से एक लिंग लाने के लिए कहा था. लेकिन उन्हें आने में देर हो गई. ऐसे में रामजी ने देवी सीता के बनाए रेत के लिंगम की पूजा की. भगवान राम द्वारा पूजे जाने वाले इस लिंगम को रामनाथर के नाम से जाना जाता है. रामनाथस्वामी मंदिर तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है. 

नागेश्वर, गुजरात

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर गुजरात में द्वारका के पास स्थित है. शिव पुराण के अनुसार, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 'दारुकवन' में है, जो भारत में एक जंगल का एक प्राचीन नाम है. भारतीय पौराणिक कथाओं से पता चलता है कि यहां भगवान कृष्ण रुद्राभिषेक करते थे. 

त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में एक और ज्योतिर्लिंग मंदिर नासिक शहर में स्थित त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर है. यह मंदिर ब्रह्मगिरी पर्वत की तलहटी में स्थित है. शिव पुराण के अनुसार, गोदावरी और गौतम ऋषि के अनुरोध पर, भगवान शिव ने त्र्यंबकेश्वर के रूप में निवास करने का फैसला किया था. इसे एक अद्वितीय ज्योतिर्लिंग माना जाता है, क्योंकि इस लिंग के तीन चेहरे हैं जो भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के प्रतीक हैं. 

घृष्णेश्वर, महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग या घृणेश्वर ज्योतिर्लिंग या धुश्मेश्वर मंदिर शिव पुराण में वर्णित 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह औरंगाबाद, महाराष्ट्र में स्थित है. अंतिम या बारहवें ज्योतिर्लिंग (प्रकाश का लिंग) के रूप में जाना जाता है. घृणेश्वर का अर्थ है 'करुणा का स्वामी.' घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर लाल चट्टान से बना है और यह भारत में भगवान शिव का सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग मंदिर भी है.