

राजस्थान की धरती पर नौतपा की तपती गर्मी जब आसमान से आग बरसा रही थी, तब जयपुर के नीलकंठ शिव मंदिर में एक अनोखा नजारा देखने को मिला. गर्मी से राहत और अच्छी बारिश की कामना के लिए 11 वैदिक पंडितों ने बर्फ के पात्रों में बैठकर पर्जन्य यज्ञ किया! यह अनूठी साधना न सिर्फ आध्यात्मिक थी, बल्कि प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता जोड़ने का एक सनसनीखेज प्रयास भी था.
मंत्रोच्चारण, हवन और आहुतियों के बीच पंडितों ने भगवान शिव और इंद्रदेव से प्रार्थना की कि इस बार समय पर और भरपूर बारिश हो, ताकि खेत हरे-भरे रहें और हर घर में खुशहाली आए.
नौतपा की गर्मी में बर्फ पर साधना
नौतपा, यानी गर्मी का वह नौ दिन का दौर, जब सूरज अपनी पूरी ताकत से धरती को तपाता है. इस बार राजस्थान में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ऐसे में जयपुर के नीलकंठ शिव मंदिर में आयोजित पर्जन्य यज्ञ ने सबका ध्यान खींचा. 11 विद्वान पंडितों ने बर्फ के पात्रों और पानी के ड्रम में अर्धनग्न होकर यह विशेष यज्ञ किया.
वैदिक मंत्रों की गूंज और हवन की सुगंध ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया. इस यज्ञ का मकसद था इंद्रदेव और भगवान शिव को प्रसन्न कर समय पर और संतुलित बारिश की कामना करना.
पंडित करण शर्मा ने बताया, "यह यज्ञ जयपुर और पूरे भारत में अच्छी बारिश के लिए किया गया. बर्फ के पात्रों में बैठकर साधना करना प्रकृति के साथ तालमेल का प्रतीक है. हमने चारों वेदों की ऋचाओं के साथ हवन किया, ताकि प्रकृति प्रसन्न हो और बारिश समय पर आए." यह यज्ञ न सिर्फ धार्मिक था, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और किसानों की खुशहाली से भी जुड़ा था.
पर्जन्य यज्ञ की परंपरा और महत्व
पर्जन्य यज्ञ एक प्राचीन वैदिक परंपरा है, जो भगवान शिव और इंद्रदेव को समर्पित है. पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया, "यह यज्ञ प्रकृति के संतुलन और बारिश के लिए किया जाता है. इसमें वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां दी जाती हैं, जो इंद्रदेव और महादेव को प्रसन्न करती हैं." इस यज्ञ में चारों वेदों- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की ऋचाओं का उच्चारण किया गया. पंडित प्रदीप गौड़ की देखरेख में 11 पंडितों ने एकजुट होकर यह अनुष्ठान किया, जिसमें हवन, पूजन और मंत्रोच्चारण शामिल थे.
पर्जन्य यज्ञ का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा है. प्राचीन भारत में राजा और ऋषि अच्छी फसल और वर्षा के लिए ऐसे यज्ञ करते थे. आज के दौर में, जब जलवायु परिवर्तन और अनियमित बारिश किसानों के लिए चुनौती बन रही है, यह यज्ञ और भी प्रासंगिक हो गया है. पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने कहा, "हमारी प्रार्थना है कि इस बार बारिश भरपूर हो, ताकि खेत लहलहाएं और हर घर में समृद्धि आए."
कैसे हुआ यह अनोखा आयोजन?
नीलकंठ शिव मंदिर में यह एकदिवसीय यज्ञ सुबह से शुरू हुआ और देर तक चला. पंडितों ने बर्फ के पात्रों में बैठकर मंत्रोच्चारण किया, जो गर्मी के बीच एक अनोखा दृश्य था. बर्फ का इस्तेमाल प्रकृति के ठंडे और गर्म तत्वों के बीच संतुलन का प्रतीक माना जाता है. यज्ञ के दौरान हवन में विशेष जड़ी-बूटियों और घी की आहुतियां दी गईं, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ. स्थानीय लोगों ने भी इस यज्ञ में हिस्सा लिया और बारिश की कामना की.
यह यज्ञ सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए एक बड़ा संदेश भी है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में, जब बारिश का समय और मात्रा अनिश्चित हो गई है, ऐसे यज्ञ प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाते हैं. पंडित करण शर्मा ने कहा, "यह यज्ञ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है. हम चाहते हैं कि लोग प्रकृति का सम्मान करें और पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाएं."
नौतपा की गर्मी राजस्थान में किसानों के लिए चुनौती बनती है. इस दौरान बारिश की कमी फसलों को नुकसान पहुंचाती है. पर्जन्य यज्ञ जैसे आयोजन न सिर्फ धार्मिक विश्वास को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में बारिश और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाते हैं.
(विशाल शर्मा की रिपोर्ट)