
बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की असीम कृपा और करुणा का एक अद्भुत प्रसंग सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में भक्ति और विश्वास को और गहरा कर दिया है. करपावंड गांव की महिला नीलावती ने अपने नवजात पुत्र को जन्म के तुरंत बाद मृत घोषित पाए जाने के बावजूद मां दंतेश्वरी की कृपा में आस्था रखी.
नवजात को डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
नीलावती के नवजात पुत्र को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज, डिमरापाल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब बच्चे में कोई उम्मीद नहीं है. नवजात की धड़कनें बंद हो चुकी थीं. लेकिन नीलावती ने हार नहीं मानी. उसने मां दंतेश्वरी की तस्वीर के सामने बच्चे को गोद में रखकर घंटों तक प्रार्थना की. उसके होंठों पर सिर्फ यह एक विनती थी, "मां, अगर आप मेरे लाल को जीवन देंगी तो मैं दीप हाथ में रखकर घुटनों से चलकर आपके दरबार में प्रण पूरा करूंगी."
मां की करुणा से लौटी जीवनधारा
नीलावती की अटूट आस्था रंग लाई. चमत्कारिक ढंग से बच्चे की धड़कनें और सांसें फिर से चालू हो गईं. डॉक्टर भी इस चमत्कार से हैरान रह गए. यह नजारा वहां मौजूद हर व्यक्ति के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गया.
छह महीने बाद निभाया प्रण
शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर छह महीने बाद नीलावती अपने स्वस्थ और हंसते-खिलखिलाते बच्चे के साथ मां दंतेश्वरी मंदिर, दंतेवाड़ा पहुंचीं. उसने दीप जलाकर और घुटनों के बल 100 किलोमीटर की यात्रा पूरी की और दरबार में माथा टेका. यह कदम भक्ति और आस्था का अमर प्रतीक बन गया.
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है, "मां दंतेश्वरी सिर्फ देवी नहीं, करुणामयी मां हैं. जब भक्त सच्चे मन से पुकारे, तो मां अपने आंचल से जीवन भी लौटा देती हैं." यह घटना दंतेवाड़ा और बस्तर की पवित्र धरती पर आस्था की अमर गाथा बन चुकी है.
(धर्मेंद्र सिंह की रिपोर्ट)
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