
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस पावन समय में पूरे देश के शिवालयों में जलाभिषेक, पूजा-पाठ और भक्ति की धारा बहती है. आज हम आपको बता रहे हैं राजस्थान के अलवर जिले में स्थित नलदेश्वर महादेव धाम के बारे में, जिसे लोग 'छोटा अमरनाथ' के नाम से भी जानते हैं. यह दिव्य स्थान अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित एक गुफा में है, जिसकी बनावट अमरनाथ गुफा से मिलती-जुलती है.
पौराणिक मान्यता: राजा नल की तपस्थली
मान्यता के अनुसार, राजा नल ने इसी गुफा में भगवान शिव की तपस्या की थी उसी के बाद से इस स्थान को ‘नलदेश्वर’ कहा जाने लगा. यहां भगवान शिव के साथ माता पार्वती, गणेश और नंदी की मूर्तियाँ भी विराजमान हैं.
कठिन रास्ता, लेकिन गहरी आस्था
इस पवित्र धाम तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 3 किलोमीटर का कठिन पैदल रास्ता तय करना होता है. रास्ते में घना जंगल, झरने, और फिसलन भरे ट्रैक होते हैं, जिनके बाद 350 सीढ़ियों की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. लेकिन भक्तों की आस्था इतनी मजबूत होती है कि वे यह यात्रा श्रद्धा के साथ पूरी करते हैं.
सावन के सोमवार और भक्तों की भीड़
विशेष रूप से सावन के सोमवार को इस धाम पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. लोग दूर-दूर से यहां आकर भगवान शिव के दर्शन करते हैं और अपने जीवन की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.
भंडारा और प्रसाद की भक्ति-भरी परंपरा
सावन के अंतिम सोमवार को यहां विशाल भंडारे का आयोजन होता है. इस अवसर पर भगवान शिव को खीर और मालपुआ का विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है. भक्तगण प्रसाद ग्रहण करते हैं और स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं.
देशभर के भक्तों का आस्था स्थल
नलदेश्वर महादेव का 'छोटा अमरनाथ' आज सिर्फ राजस्थान नहीं, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र बन चुका है. सावन के इस पावन महीने में यहां की प्राकृतिक छटा और आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों के दिल को छू जाती है.
नलदेश्वर महादेव धाम एक ऐसा स्थान है जहां प्रकृति, पौराणिकता और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. सावन के महीने में इस धाम की यात्रा करना एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है, जो जीवनभर याद रहता है.
(हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट)
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