
नवरात्रि का आज पहला दिन है और पूरे देश में मां दुर्गा की आराधना का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरू हो गया है. चैत्र और कुआर महीने की नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. आज मां शैलपुत्री की विशेष पूजा का महत्व है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर में मां शारदा धाम में लाखों श्रद्धालु जुटे और आस्था की गूंज ने त्रिकूट पर्वत को भक्तिमय बना दिया.
मैहर में माता का कंठ और गले का हार गिरा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भारत की आदिशक्ति मां जगदंबा के 51 शक्तिपीठों में से एक है मैहर का शारदा धाम. मान्यता है कि जब माता सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के अपमान से दुखी होकर हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया था, तब भगवान शिव शोकविह्वल होकर उनके पार्थिव शरीर को लेकर ब्रह्मांड में भटकने लगे. इस स्थिति में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. जहां-जहां अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए.
कहा जाता है कि मैहर में माता का कंठ और गले का हार गिरा था. इसी वजह से यह स्थान शक्तिपीठ के रूप में पूजनीय हुआ. पहले इस जगह का नाम माई हार पड़ा, जो समय के साथ अपभ्रंश होकर मैहर कहलाने लगा.
त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा का दरबार
मैहर का शारदा मंदिर विंध्य पर्वत श्रृंखला के त्रिकूट पर्वत पर 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. प्राचीन ग्रंथों में इस पर्वत का नाम महेंद्र पर्वत बताया गया है. कहा जाता है कि यहां आदिगुरु शंकराचार्य ने मां शारदा की पहली पूजा की थी. मंदिर के गर्भगृह तक जाने वाला रास्ता कभी पगडंडी था, लेकिन समय के साथ यहां 1038 पक्की सीढ़ियां बनाई गईं. इसके अलावा आधुनिक समय में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोपवे और मारुति वैन की सुविधा भी उपलब्ध है.
आल्हा-उदल की अद्भुत कथा
मैहर धाम की सबसे अनोखी मान्यता आल्हा-उदल से जुड़ी है. कहा जाता है कि वीर योद्धा आल्हा और उदल को मां शारदा से अमरत्व का वरदान मिला था. मान्यता है कि वे आज भी प्रतिदिन मां की पहली पूजा करते हैं. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब सुबह पट खुलते हैं तो माँ श्रृंगारित अवस्था में मिलती हैं, मानो किसी ने पूजा-अर्चना की हो.
नवरात्रि में उमड़ती है भक्तों की भीड़
नवरात्रि में मैहर धाम का दृश्य अद्भुत होता है. दूर-दराज़ से लाखों श्रद्धालु त्रिकूट पर्वत पर चढ़ाई करके मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आज यानी नवरात्रि के पहले दिन सुबह 3 बजे की पहली आरती में ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. मंदिर परिसर जय मां शारदा के जयकारों से गूंज उठा.
प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ख्याल रखा है. जिले के अधिकारी खुद सुबह मंदिर पहुंचे, प्रथम आरती में शामिल हुए और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. मंदिर परिसर और पर्वत मार्ग पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो.
अद्भुत लिपि का रहस्य
मां शारदा मंदिर में एक और रहस्य छिपा है. मंदिर परिसर की एक दीवार पर आज भी एक अनोखी लिपि में कुछ लिखा हुआ है, जिसे कोई समझ नहीं पाया. इतिहासकारों के अनुसार यह लिपि 12वीं सदी या उससे भी पुरानी प्रतीत होती है. इस वजह से मंदिर का महत्व धार्मिक ही नहीं, ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी बढ़ जाता है.
शारदा धाम का ऐतिहासिक महत्व
इतिहासकार मानते हैं कि त्रिकूट पर्वत पर पूजा-अर्चना की परंपरा 522 ईसा पूर्व से चली आ रही है, जब राजा नृपल देव ने यहां सामवेदी की स्थापना की थी. तभी से इस पर्वत पर देवी आराधना का सिलसिला लगातार जारी है.
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
जहां पहले सिर्फ कठिन पगडंडी से ही माता तक पहुंचा जा सकता था, वहीं अब सीढ़ियों, वैन और रोपवे ने पहुंच आसान बना दी है. हर साल नवरात्रि के दिनों में लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. प्रशासन की व्यवस्था और आधुनिक संसाधनों के कारण भक्तों को दर्शन में आसानी होती है.
मैहर धाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का केंद्र है. मान्यता है कि मां शारदा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. यही कारण है कि नवरात्रि के समय यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है और देशभर से श्रद्धालु मैहर पहुंचते हैं.
---वेंकटेश द्विवेदी की रिपोर्ट
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