
हिंदू धर्म में बेलपत्र का काफी धार्मिक महत्व है. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का उपयोग अनिवार्य माना गया है. ऐसा माना जाता है कि बेल वृक्ष में भगवान शिव का वास होता है. बेलपत्र के प्रयोग से न केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है बल्कि यह कष्टों से मुक्ति और मोक्ष का द्वार भी खोल सकता है. सावन के पवित्र महीने में बेलपत्र का प्रयोग विशेष रूप से फलदायी होता है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र का अर्पण किया जाता है, जो त्रिनेत्र स्वरूप शिवजी के तीन नेत्रों का प्रतीक है.
बेलपत्र का धार्मिक महत्त्व
बेलपत्र को श्री वृक्ष और शिव द्रुम भी कहा जाता है. इसकी तीन पत्तियां त्रिनेत्र स्वरूप भगवान शिव के तीन नेत्रों को भाती हैं. शिवलिंग पर गंगाजल के साथ बेलपत्र चढ़ाने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि बेलपत्र के अर्पण से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार,बेलपत्र के प्रयोग से आग की विपत्तियों और अन्य संकटों को टाला जा सकता है.
बेलपत्र का औषधीय उपयोग
बेलपत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि औषधीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इसके रस का उपयोग श्वास संबंधी रोगों, रक्त विकारों और पेट की समस्याओं के निदान में किया जाता है. विद्वान वैद्य इसे डायबिटीज, मुंह के छाले और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए उपयोगी मानते हैं. बेलपत्र का काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से खांसी में राहत मिलती है. इसके अलावा, बेलपत्र का रस आंखों की ज्योति बढ़ाने और सिरदर्द को ठीक करने में सहायक है.
बेलपत्र के प्रयोग में बरतें सावधानियां
बेलपत्र को तोड़ने और अर्पित करने में विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए. इसे सोमवार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और संक्रांति के दिन नहीं तोड़ना चाहिए. पूजा में प्रयोग करने के लिए तीन दल वाले पत्ते ही उपयोग में लाने चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनियों के साथ नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को एक-एक पत्ते के रूप में तोड़ना चाहिए ताकि वृक्ष को कोई क्षति न पहुंचे. बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को प्रणाम करना चाहिए. बेलपत्र तोड़ने का मंत्र है अमृतो भव श्री वृक्ष महादेव प्रिय सदा ग्राहमी तव पत्राणी शिव पूजा मादा त्रम. इस मंत्र का अर्थ है कि अमृत से उत्पन्न सौंदर्य और ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष भगवान शिव को प्रिय हैं. शिव पूजा के लिए बेलपत्र तोड़ते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए. बेलपत्र को चिकने हिस्से की तरफ से ही अर्पित करना चाहिए और इसके साथ जल चढ़ाना अनिवार्य है.
सावन में बेलपत्र का विशेष महत्व
सावन के महीने में बेलपत्र का प्रयोग शिवजी की कृपा पाने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. विवाह बाधा, संतान प्राप्ति और स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए बेलपत्र के विशेष प्रयोग बताए गए हैं. विवाह में विलंब हो रहा हो तो 108 बेलपत्र पर चंदन से 'राम' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें. इसी प्रकार, संतान प्राप्ति के लिए अपनी उम्र के अनुसार बेलपत्र को दूध में डुबोकर शिवलिंग पर चढ़ाने का विधान है.