हाइलाइट्स
केरल का प्रमुख त्योहार है ओणम
केरल में 10 दिन तक मनाया जाता है ये पर्व
भारत विविधताओं की भूमि है. यहां अलग-अलग राज्यों में अपने-अपने पारंपरिक त्योहार मनाए जाते हैं. इन्हीं में से एक है ओणम (Onam Festival) जो खास तौर पर केरल में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है और इसे फसल का त्योहार भी कहा जाता है. ओणम का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व इतना गहरा है कि यह सिर्फ केरल ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में बसे मलयाली समुदाय के लिए गौरव और आनंद का पर्व बन चुका है.
केरल में लोग राजा महाबली की वापसी का जश्न मनाने के लिए ओणम मनाते हैं. यह त्योहार मानसून के अंत और फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है. यह दिन राजा महाबली के धरती पर स्वागत के रूप में मनाया जाता है. केरल में इस साल ओणम का त्योहार कब से शुरू हो रहा है? आइए इस बारे में जानते हैं.
कब शुरू हो रहा ओणम?
ओणम का केरल में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है. केरल के लोग भूमि की पूजा करते हैं क्योंकि यह उन्हें हर साल भरपूर फसलें प्रदान करती है. इस दिन लोग राजा महाबली और भगवान वामन की पूजा करते हैं.
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- ओणम 10 दिनों तक चलने वाला फसल उत्सव है. इस उत्सव का पहला दिन अथम होता है और आखिरी दिन थिरुवोणम मनाया जाता है.
- द्रिक पंचांग के अनुसार, ओणम मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाता है. इस साल अथम 26 अगस्त को और थिरुवोणम 5 सितंबर को मनाया जाएगा.
- ओणम हर साल मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त–सितंबर में आता है.
- ओणम 2025 की शुरुआत इस साल 26 अगस्त को शुरू होगा. इस पर्व का समापन 5 सितंबर को किया जाएगा. ये पूरा त्योहार 10 दिन तक चलेगा.
क्यों मनाते हैं ओणम?
- ओणम के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं लेकिन सबसे लोकप्रिय कथा महाबली राजा से संबंधित है.
- कहा जाता है कि प्राचीन काल में महाबली नाम का एक पराक्रमी और दयालु असुर राजा केरल पर शासन करता था.
- उनके शासन में लोग खुशहाल और समृद्ध थे. देवताओं ने उनकी बढ़ती शक्ति से डरकर भगवान विष्णु से प्रार्थना की.
- देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और महाबली से तीन पग भूमि मांगी. राजा बली ने तीन पग जमीन देने का वचन दिया.
- दो पगों में भगवान विष्णु ने पूरा ब्रह्मांड नाप लिया और तीसरे पग में महाबली ने अपना सिर अर्पित कर दिया.
- राजा बलि की भक्ति और उदारता से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें यह वरदान दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आ सकें.
- माना जाता है कि ओणम का पर्व राजा महाबली के स्वागत में मनाया जाता है. लोग इस दिन भव्य और धूमधाम से केरल में त्योहार मनाते हैं.
10 दिन के ओणम की खासियत
ओणम सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि 10 दिनों का उत्सव है. हर दिन की अलग पहचान और परंपरा होती है. हर दिन का अलग महत्व है. 10 दिन तक चलने वाले त्योहार के हर दिन अलग-अलग परंपरा निभाई जाती है.
- अथम- इस दिन त्योहार की शुरुआत होती है. घरों की सफाई और पुक्कलम (फूलों की सजावट) की जाती है.
- चिथिरा- रंगोली और फूलों से घर सजाए जाते हैं.
- चोडी- इस दिन लोग नए कपड़े और उपहार खरीदे जाते हैं.
- विशाकम- ओणम के त्योहार के इस दिन प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है.
- अनिज्हम- त्योहार के इस दिन नौका दौड़ (Vallamkali) की तैयारियां की जाती है.
- थ्रिकेता- रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ मिलन का दिन है.
- मूलम- मंदिरों और सार्वजनिक जगहों पर उत्सव मनाया जाता है.
- पूरडम- इस दिन ओणम उत्सव अपने चरम पर पहुंचता है.
- उथरडम- महाबली राजा के आने की पूर्व संध्या.
- थिरुवोनम- ये ओणम त्योहार का सबसे खास दिन होता है जब राजा महाबली का स्वागत किया जाता है.
क्यों खास है ओणम?
- ओणम केरल का सबसे खास और भव्य त्योहार है, जो कई वजहों से बेहद आकर्षक माना जाता है. इस पर्व की खूबसूरती पुक्कलम से झलकती है.
- ओणम पर्व पर रंग-बिरंगे फूलों से घरों और मंदिरों को सजाया जाता है. ओणम साद्या इसका सबसे बड़ा आकर्षण है, जिसमें केले के पत्ते पर 26 से अधिक पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं.
- वल्लमकली यानी नौका दौड़ में सुंदर सजाई गई नौकाओं की भव्य रेस देखने को मिलती है, वहीं पुलीकली में लोग बाघ की तरह शरीर पर रंग कर नृत्य करते हैं.
- कथकली और मोहिनीयाट्टम जैसे पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियां भी इस उत्सव को खास बनाती हैं. यह त्योहार केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि फसल उत्सव के रूप में समृद्धि और खुशहाली का संदेश देता है.
- खास बात यह है कि ओणम धर्म और जाति से ऊपर उठकर सबको जोड़ता है और सामूहिक आनंद का अवसर प्रदान करता है.
- यही वजह है कि ओणम केरल पर्यटन का सबसे बड़ा आकर्षण भी बन गया है, जिसे देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं. ओणम के अवसर पर केरल की संस्कृति, नृत्य, संगीत और व्यंजनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो इसे सचमुच अनोखा और खास बनाता है.
ओणम सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामूहिक उत्सव और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. यह त्योहार भाईचारे, समानता और खुशहाली का संदेश देता है. 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव केरल की धड़कन है और हर साल राजा महाबली के स्वागत के साथ लोगों के दिलों में नई उमंग भर देता है.