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Pradosh Vrat 2022: शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त

प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है. ये भगवान शंकर और देवी पार्वती का व्रत होता है, इसे करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार के व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा गया है.

भगवान शंकर और माता पार्वती भगवान शंकर और माता पार्वती
हाइलाइट्स
  • हर महीने में दो बार होता है प्रदोष व्रत

  • इस बार के व्रत को शुक्र प्रदोष ब्रत कहा जाएगा

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है. ये व्रत हर माह में दो बार आता है. त्रयोदशी तिथि के दिन ये व्रत रखा जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन करने सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आय यानी 23 सितंबर को रखा जाएगा. क्योंकि ये व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत नाम दिया गया है. 

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत हर माह में दो बार आता है. एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरा कृष्ण पक्ष में. दोनों की व्रतों के एक सामान्य महत्व होता है. इस बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 सितंबर को सुबह 1 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 24 सितंबर को सुबह 2 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी. उदयातिथि के अनुसार व्रत आज यानी 23 सितंबर को रखा जाएगा. पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 17 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 39 मिनट तक है.

प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसे में जरूरी है इस व्रत की पूजन विधि को जानना. प्रदोष व्रत कर रहे हैं तो उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें. इस दिन मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद भगवान शिव को गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प अर्पण करें. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ उनके पुत्र गणेश जी का पूजन करना चाहिए. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और सात्विक चीजों का भोग लगाएं. पूजा करते वक्त व्रत कथा करना बिलकुल न भूलें. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें. 

जरूरी सूचना: ऊपर दी गई जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.