
पुरखों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित पितृपक्ष 15 दिन तक चलता है, जिसकी शुरुआत पूर्णिमा के श्राद्ध से होती है. इस दौरान पूर्वजों को श्रद्धा, तर्पण और पिंडदान अर्पित किए जाते हैं. पितृ मुक्ति का प्रथम और प्रमुख द्वार माने जाने के कारण संगम नगरी प्रयागराज में पिंडदान और श्राद्ध का विशेष महत्व है.
हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर अपने पुरखों का पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करते हैं. संगम में पिंडदान करने से यह माना जाता है कि भगवान विष्णु सहित तीर्थराज प्रयाग में वास करने वाले सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता पितरों को आशीर्वाद और मोक्ष प्रदान करते हैं.
आधुनिक समय में ऑनलाइन पिंडदान की व्यवस्था
जो श्रद्धालु किसी कारणवश प्रयागराज आकर संगम पर पिंडदान करने में असमर्थ होते हैं, उनके लिए अब ऑनलाइन पिंडदान की भी व्यवस्था की गई है. तीर्थ पुरोहित व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल के माध्यम से जजमानों को पूजा कराते हैं. इससे लोग दूर रहकर भी परंपरा से जुड़े रहते हैं और अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध व तर्पण कर पाते हैं.
संगम पर पिंडदान की परंपरा
संगम क्षेत्र में श्रद्धालु अपने परिवार के दिवंगत सदस्यों की आत्मा की शांति और उन्हें ईश्वर के चरणों में स्थान मिलने की कामना करते हुए पिंडों को गंगा-यमुना के संगम में विसर्जित करते हैं. हालांकि इस बार गंगा और यमुना के जलस्तर में वृद्धि होने से संगम क्षेत्र कुछ सिमट गया है, लेकिन आस्था का ज्वार हमेशा की तरह ऊंचा बना हुआ है.
पितृपक्ष का धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म की मान्यता है कि कोई भी प्राणी पूरी तरह मरता नहीं, बल्कि पुनर्जन्म लेता है. पितृपक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है. पितृपक्ष के कर्म विशेष रूप से प्रयागराज, काशी और गया में ही किए जाते हैं. श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयागराज में किए जाने वाले मुंडन संस्कार से होती है.
यह मान्यता भी है कि पितृपक्ष में किए गए कर्मों से पूर्वजों की आत्मा संतुष्ट होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
पितृपक्ष पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित पर्व है. संगम नगरी प्रयागराज इस पावन कर्म का मुख्य केंद्र मानी जाती है. परंपरा और आधुनिकता का संगम आज इस रूप में दिख रहा है कि लोग संगम पर आकर ही नहीं बल्कि ऑनलाइन माध्यम से भी अपने पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध करा रहे हैं.
(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
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