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Saharanpur: अनोखी कांवड़ यात्रा! भोलेनाथ ने पूरी की मन्नत तो बच्चों की तस्वीर लगाकर निकले यात्रा पर

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के अर्जुन कश्यप अनोखी कांवड़ यात्रा पर निकल पड़े हैं. उन्होंने भोलेनाथ से अपने बच्चों के लिए मन्नत मांगी थी, जब उनकी मन्नत पूरी हो गई तो वो खुशी से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. इस दौरान वो अपने तीनों बच्चों की फोटो भी लगाए हुए हैं.

Kanwar Yatra Kanwar Yatra

सहारनपुर के सरसावा क्षेत्र के गांव उमाही खुर्द निवासी अर्जुन कश्यप इन दिनों एक बेहद भावनात्मक और अनोखी कांवड़ यात्रा पर निकले हैं. उन्होंने हरिद्वार से 51 लीटर गंगाजल उठाया है, जिसे वे अपने गांव सहारनपुर लेकर आ रहे हैं. यह कांवड़ सामान्य नहीं, बल्कि पूरी तरह उनके बच्चों को समर्पित है. अर्जुन कश्यप ने बताया कि उन्होंने भोलेनाथ से अपने बच्चों के लिए मन्नत मांगी थी, खासकर अपने सबसे छोटे बेटे निहाल कश्यप के लिए, जो आज आठ महीने का है. उन्होंने भोलेनाथ से प्रार्थना की थी कि उन्हें संतान का जोड़ा प्राप्त हो और उनकी ये मन्नत महादेव ने पूरी कर दी. इसी खुशी में वे गंगाजल लेकर आ रहे हैं और इसे अपने गांव में भोलेनाथ के साथ-साथ अपने बच्चों को भी चढ़ाएंगे.

कांवड़ पर तीनों बच्चों की तस्वीर-
इस खास कांवड़ यात्रा में उन्होंने अपनी कांवड़ पर अपने तीनों बच्चों की फोटो लगाई है. सबसे बड़ी बेटी 8 साल की महक कश्यप, बेटा 6 साल का कार्तिक कश्यप और सबसे छोटा बेटा 8 महीने का निहाल कश्यप है. इतना ही नहीं, उन्होंने जो टीशर्ट पहनी है, उस पर भी बच्चे की फोटो और नाम छपवाए हैं. 

अर्जुन कश्यप बताते हैं कि हरिद्वार से हम कावड़ लेकर आ रहे हैं और गांव उमाही खुर्द सहारनपुर सरसावा जा रहे हैं, यह 51 लीटर जल है. यह बच्चे की फोटो इसलिए लगा रखी है मैंने महादेव से मन्नत मांगी थी, महादेव ने मन्नत पूरी की है, भगवान हमारे बच्चों का जोड़ा मिलवा दे यही मन्नत मांगी थी. महादेव ने जोड़ा मिलवा दिया, हम खुश हैं. 

बच्चों को समर्पित कांवड़-
अर्जुन कहते हैं कि यह कांवड़ पूरी तरह से उनके बच्चों को समर्पित है क्योंकि उनका परिवार ही उनकी असली शक्ति और भक्ति का आधार है. उन्होंने बताया कि जब निहाल का जन्म नहीं हुआ था, तब उन्होंने मन्नत मानी थी कि अगर भगवान उन्हें संतान का जोड़ा देंगे तो वह उनके नाम की कांवड़ चढ़ाएंगे. आज वे बेहद खुश और भावुक हैं, क्योंकि भगवान ने उनकी मुराद पूरी की. इस कांवड़ यात्रा के माध्यम से वे न केवल अपनी श्रद्धा का इज़हार कर रहे हैं, बल्कि अपने बच्चों के प्रति अपने प्यार और कृतज्ञता को भी दर्शा रहे हैं. उनका यह अनोखा समर्पण कांवड़ यात्रा में एक मिसाल बन गया है, जो दिखाता है कि भक्ति केवल भगवान के लिए ही नहीं, बल्कि परिवार के प्रति भी होती है.

(राहुल कुमार की रिपोर्ट)

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