रणथंभौर में गणपति की धूम! त्रिनेत्र गणेश के तीन दिवसीय लक्खी मेले का आगाज
जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण मंदिर तक जाने वाला रास्ता बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट ने दिन-रात मेहनत करके मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए तैयार किया.
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर में आज से तीन दिवसीय लक्खी मेले की शुरुआत हो गई. बारिश, बाढ़ जैसे हालात और रणथंभौर में टाइगर मूवमेंट की चेतावनी के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ.
जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश के कारण मंदिर तक जाने वाला रास्ता बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट ने दिन-रात मेहनत करके मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए तैयार किया.
श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब
मेले के पहले ही दिन हजारों श्रद्धालु त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन के लिए रणथंभौर पहुंचे.
रणथंभौर सर्किल से लेकर दुर्ग के शीर्ष पर स्थित मंदिर तक पूरा इलाका जयकारों से गूंज रहा है.
जगह-जगह भंडारे आयोजित किए गए हैं, जहां श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं.
राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहां आ रहे हैं.
14 किलोमीटर की पैदल यात्रा
मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 14 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है.
रास्ते में कई जगह जलभराव और दुर्गम चढ़ाई होने के बावजूद श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ मंदिर तक पहुंच रहे हैं.
तीन दिवसीय मेले में 5 से 8 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जिला प्रशासन, वन विभाग और मंदिर ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है.
मेले में 1,500 पुलिसकर्मी और RAC जाब्ता तैनात किया गया है.
टाइगर मूवमेंट की संभावित जगहों पर वनकर्मी तैनात किए गए हैं.
जलभराव वाले क्षेत्रों में बेरीकेडिंग की गई है और गोताखोरों की टीम भी तैनात है.
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए CCTV कैमरों से लगातार निगरानी की जा रही है.
इतिहास और महिमा
रणथंभौर त्रिनेत्र गणेश मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और रोचक है.
कहा जाता है कि भगवान गणेश की प्रतिमा जमीन से स्वयं प्रकट हुई थी.
इस मंदिर की स्थापना 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने करवाई थी.
यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान गणेश अपनी पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं.
मंदिर से जुड़ी कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं, जिनमें भगवान कृष्ण, पांडवों और अलाउद्दीन खिलजी के समय की घटनाएं शामिल हैं.
प्रशासन अलर्ट, श्रद्धालु बेफिक्र
हाल ही में हुई भारी बारिश और कई गांवों में आए बाढ़ जैसे हालात के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था डिगी नहीं.
प्रशासन ने रोडवेज की अतिरिक्त बसें चलाई हैं ताकि श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में परेशानी न हो.
मेले को शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
विशेष आकर्षण
गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर में भगवान गणेश का अलौकिक श्रृंगार किया जाएगा.
मेले के अंतिम दिन महाआरती होगी और उसके बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाएगा.