Rules to offer water to Shivling
Rules to offer water to Shivling सावन का महीना शुरू होने वाला है और हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व है. सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खासतौर पर सोमवार की बहुत ज्यादा मान्यता है. इस दिन मंदिरों में जल चढ़ाने वाले भक्तों की लंबी कतारें दिखती हैं. कहा जाता है कि अगर कोई भक्त सच्चे मन से शिवलिंग की पूजा करता है, तो उसके जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
लेकिन भक्ति के साथ-साथ जरूरी है, सही तरीकों और नियमों का पालन, क्योंकि पूजा में की गई गलतियां आपको फायदा नहीं देती हैं. ऐसे में आप शिवलिंग पर जल चढ़ाने के सही नियम जान लें.
1. शिव जी की पूजा शुरू करने से पहले सबसे जरूरी चीज है, स्वयं की शुद्धता. यह पूजा मंदिर जाकर जल चढ़ाने भर से पूरी नहीं होती, बल्कि इसकी शुरूआत हमारे भीतर से होती है. जब मन शांत हो और शरीर स्वच्छ हो, तभी हम सच्चे अर्थों में भगवान शिव के सामने खुद को प्रस्तुत कर पाते हैं.
2. भगवान शिव ऐसे आराध्य हैं. जिनकी पूजा करना बहुत सरल और लाभकारी है. भगवान शिव जी मात्र जल चढ़ाने से ही खुश हो जाते है. लेकिन उनकी सरलता के पीछे भी गहरा नियम है, वह नियम यह है कि जल को शिव लिंग पर चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का ही प्रयोग करना चाहिए. जल को तांबे के लोटे में भर कर उसमें कुछ चावल या फूलों को डाल कर ही जल को भगवान शिव पर अर्पित करना चाहिए.
3. हिंदू परंपराओं के अनुसार शिवलिंग पर कभी-भी खड़े हो कर जल को अर्पित नहीं करना चाहिए. शिवलिंग पर जल को बैठ कर ही धीरे-धीरे चढ़ाना शुभ माना जाता है. क्योंकि खड़े होकर तेज धार में शिवलिंग पर जल चढ़ाना शिव की शांति को भंग कर सकता है.
4. शिव की पूजा में हर क्रिया का अपना अर्थ और मर्यादा होती है. कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसी छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं, जो शास्त्रों में वर्जित मानी गई हैं. जैसे- शिवलिंग की जलहरी ( जो जल बहाने के लिए बनाई जाती है), उसमें कभी भी पूजा का कोई सामान फूल, बेल पत्र और दीपक नहीं रखना चाहिए. इसी तरह, जब शिवलिंग की परिक्रमा करें, तो ध्यान रखें कि जलहरी को पार न करें, पूर्ण परिक्रमा की जगह आधी परिक्रमा करें. ऐसा करना पूजा की मर्यादा और शिव के सम्मान का प्रतीक माना जाता है.
5. शिव लिंग पर जल चढ़ाना यानी शिव भगवान के पूरे परिवार को आदरपूर्वक नमन करने जैसा होता हैं. जब हम तांबे के लोटे में जल लेकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं, तो हर भाव के पीछे एक विशेष भाव जुड़ा होता है.
शिवलिंग पर जल को अर्पित करने के बाद अक्सर हम तीन बार ताली बजाते हैं. यह ताली मात्र ताली नहीं है, यह एक संवाद होता है भगवान से जुड़ने का. हर ताली में एक भाव छुपा होता है. पहली ताली भगवान शिव को यह बताने के लिए होती है कि मैं आया हूं, या आयी हूं, आपकी शरण में हूं. दूसरी ताली के माध्यम से भक्त अपनी मन की बातें, इच्छाएं और प्रार्थनाएं भोलेनाथ तक पहुंचाता है. और तीसरी ताली में वह उनसे यह प्रार्थना करते हैं कि हे महादेव, मुझे अपने चरणों में स्थान दें, मेरा जीवन सार्थक करें.