Shakambhari Navratri
Shakambhari Navratri 'शाकंभरी नवरात्र' का आगाज हो चुका है. इस मौके पर गुजरात में बनासकांठा जिले के अंबाजी मंदिर परिसर को मौसमी फल और सब्जियों से सजाया गया है. 'शाकंभरी नवरात्र' के मौके पर अंबाजी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. साथ ही शीतलता और स्वास्थ्य प्रदान करने वाली 'कल्याण स्वरूपा' माता का आशीर्वाद लेते हैं.
साल में 4 बार आते हैं नवरात्र
सनातन परंपरा में 'शक्ति की उपासना' के पर्व नवरात्र का विशेष महत्व है. यूं तो नवरात्र साल में 4 बार आते हैं, जिनमें चैत्र और अश्विन महीने में पड़ने वाले नवरात्र तो सभी जानते हैं लेकिन इसके अलावा 2 और नवरात्र होते हैं, जो माघ और आषाढ़ माह में आते हैं. वैदिक परंपरा में जिन्हें 'गुप्त नवरात्र' के नाम से जाना जाता है. इन 4 नवरात्र के अलावा माता की आराधना के लिए साल में एक और नवरात्र मनाने की परंपरा है, जिसे 'शाकंभरी नवरात्र' कहते हैं.
शीतलता और स्वास्थ्य प्रदान करने वाली माता हैं शाकंभरी
'शाकंभरी नवरात्र' की शुरूआत पौष मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी से होती है, जो पूर्णिमा तक मनाया जाता है. इस साल 7 जनवरी से माता के इन 'विशेष नवरात्र' की शुरुआत हो गई है. 'मां शाकंभरी' भक्तों को शीतलता और स्वास्थ्य प्रदान करने वाली हैं. माता के हजार नेत्र हैं जिसके चलते इनका एक नाम 'मां शताक्षी' भी है.
शाकंभरी नवरात्रि के मौके पर माता को फल-फूल और हरी सब्जियों के दान का विशेष महत्व होता है. इस मौके पर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक गुजरात के अंबाजी आद्य मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. यहां 'गब्बर पहाड़ी' पर माता का प्राचीन मंदिर है. मान्यता है कि 'देवी सती' के शरीर से अलग होकर उनका हृदय यहां आकर गिरा था. इस मंदिर की अनूठी खासियत ये है कि यहां कोई मूर्ति नहीं है. यहां देवी के प्रतीक ‘श्री विसा यंत्र’ की पूजा की जाती है, जो एक पर्दे में ढकी रहती है. हर साल हजारों भक्त अपनी मनोकामना लेकर माता के दर पर आते हैं.
'शाकंभरी नवरात्र' के चलते मंदिर का भव्य शृंगार किया गया है. सजावट के लिए अलग-अलग तरह की सब्जियों और फलों का उपयोग किया गया है. मान्यता है कि 'मां शाकंभरी' ने अपने शरीर पर 'फल और सब्जियों' को उगाकर संपूर्ण जगत का भरण पोषण किया था. सर्दी के मौसम में फल और सब्जियों की बहुलता होती है. इसीलिए भक्त माता को मौसमी फल और सब्जियों का भोग लगाते हैं.
-शक्ति सिंह परमार की रिपोर्ट