
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर, रविवार को पड़ रहा है. शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व अधिक है. हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है.
शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व
यही वह समय होता है जब मौसम में परिवर्तन की शुरुआत होती है. शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आगमन होता है. चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं. शरद पूर्णिमा में चंद्रमा की किरणें कई बीमारियों दूर कर सकती हैं. शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिससे जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी.
यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात लोग चंद्रमा की रोशनी में खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती है और खीर में चंद्रमा की किरणों के औषधीय गुण मिल जाते हैं. पौराणिक मान्यता है कि खीर में अमृत का अंश होता है, जो आरोग्य सुख प्रदान करता है.
शरद पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 9 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर सुबह 2 बजकर 25 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- 9 अक्टूबर शाम 5 बजकर 58 मिनट
शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की खीर अस्थमा रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद बताई जाती है. शरद पूर्णिमा की खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है. ये खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत लाभ पहुंचाती है.
शरद पूर्णिमा का चांद और खीर दिल के मरीज़ों और फेफड़े के मरीज़ों के लिए भी काफी फायदेमंद बताया गया है.
शरद पूर्णिमा के दिन इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखने का प्रयास करें.
उपवास ना भी रखें तो भी इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए.
शरीर के शुद्ध और खाली रहने से आप ज्यादा बेहतर तरीके से अमृत की प्राप्ति कर पायेंगे.
काले रंग का प्रयोग न करें, चमकदार सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा.