
Shardiya Navratri 2025: पूरे देश में नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का शुभ त्योहार पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. नवरात्रि में नौ मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है.
इस बार ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसके कारण मां चंद्रघंटा की पूजा लगातार दो दिनों तक 24 और 25 सितंबर को की जाएगी. नवरात्रि के तीसरे दिन तृतीया तिथि और चतुर्थी तिथि के संयोग में आ रहा है. तिथि परिवर्तन की स्थिति के कारण 24 सितंबर को और 25 सितंबर 2025 को मां चंद्रघंटा की आराधना की जाएगी. यह संयोग अत्यंत दुर्लभ माना गया है और इसे शुभ फलदायी भी बताया गया है.
क्या है पूजन मुहूर्त
1. ब्रह्म मुहूर्त: मां चंद्रघंटा के पूजन का ब्रह्म मुहूर्त 24 सितंबर को सुबह 04:35 बजे से सुबह 05:23 बजे तक रहेगा.
2. विजय मुहूर्त: यह मुहूर्त 24 सितंबर को दोपहर 02:14 बजे से दोपहर 03:02 बजे तक रहेगा.
3. अमृत काल: सुबह 09:11 बजे से सुबह 10:57 बजे तक अमृत काल रहेगा.
कौन हैं मां चंद्रघंटा
1. मां चंद्रघंटा, देवी पार्वती का तीसरा रूप हैं.
2. मान्यता है कि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह के बाद अपने माथे पर अर्धचंद्रमा सजाने लगीं. इसके बाद उन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से जाना जाले लगा.
3. मां चंद्रघंटा का वाहन बाघिन हैं. माता के चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल और उनके चार दाहिने हाथों में कमल, तीर, धनुष और जप माला होती है.
4. मां चंद्रघंटा पांचवां बायां हाथ वरद मुद्रा में है. उनका पांचवां दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है.
5. मां चंद्रघंटा देवी का शांत स्वरूप हैं. मां चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. मां चंद्रघंटा के माथे की चंद्र घंटी जब बजती है तो भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं.
6. मां चंद्रघंटा की पूजा से भय और शत्रुओं का नाश होता है. जीवन में साहस और सफलता मिलती है.
7. पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से ही असुरों का नाश कर दिया था.
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
1. प्रातः काल स्नान करने के बाद स्वच्छ पीले या सुनहरे वस्त्र धारण करें.
2. पूजन स्थल पर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
3. केसर, गंगा जल और केवड़ा में देवी चंद्रघंटा की मूर्ति को स्नान कराएं.
4. माता रानी को सुनहरे रंग के वस्त्र पहनाएं और उन्हें पीले फूल, कमल, मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें.
5. भोग के लिए आप माता रानी को दूध और मखाने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं.
6. ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें.
7. पूजन के अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें.