
सीता नवमी या सीता जयंती वैशाख या वसंत के शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम की पत्नी, पवित्र देवी सीता की जयंती को चिह्नित करने के लिए मनाई जाती है. देवी सीता राजा जनक के राज्य मिथिला की राजकुमारी थीं. सीता जयंती को जानकी नवमी के रूप में भी जाना जाता है.
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक दिन का उपवास रखती हैं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भगवान राम और देवी सीता की पूजा करती हैं. साथ ही, हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने वाले भक्तों को तीर्थयात्रा और दान का लाभ मिलता है.
सीता नवमी 2022 शुभ मुहूर्त
सीता नवमी 2022 का महत्व
माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं. इसलिए इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है. देवी सीता का विवाह भगवान राम से हुआ था, जिनका जन्म भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के दौरान नवमी तिथि को हुआ था. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सीता जयंती रामनवमी के एक महीने के बाद आती है.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा जनक यज्ञ करने के लिए भूमि की जुताई कर रहे थे, तो उन्हें एक मटके में एक बच्ची मिली, जिसका नाम राजा जनक ने सीता रखा.
सीता नवमी 2022: पूजा विधि
ऐसा कहा जाता है कि पूजा के दौरान अगर भक्त 12 मुखी रुद्राक्ष की माला अपने हाथ या गले में धारण करते हैं, तो इससे उनके भीतर की शुद्धि और इच्छाशक्ति को मजबूत होती है.