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Sita Navami 2022: आज है सीता नवमी, पूजा के दौरान धारण करें 12 मुखी रुद्राक्ष की माला

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुष्य नक्षत्र में माता सीता प्रकटी थीं. राजा जनक यज्ञ के लिए जमीन की जुताई कर रपे थेे जब उन्हें माता सीता मिलीं.

Sita Navami 2022 (Photo: Pinterest) Sita Navami 2022 (Photo: Pinterest)
हाइलाइट्स
  • आज है सीता नवमी

  • इस दिन धारण करें 12 मुखी रुद्राक्ष की माला

सीता नवमी या सीता जयंती वैशाख या वसंत के शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम की पत्नी, पवित्र देवी सीता की जयंती को चिह्नित करने के लिए मनाई जाती है. देवी सीता राजा जनक के राज्य मिथिला की राजकुमारी थीं. सीता जयंती को जानकी नवमी के रूप में भी जाना जाता है. 

इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक दिन का उपवास रखती हैं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भगवान राम और देवी सीता की पूजा करती हैं. साथ ही, हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने वाले भक्तों को तीर्थयात्रा और दान का लाभ मिलता है.

सीता नवमी 2022 शुभ मुहूर्त

  • शुभ तिथि शुरू: 09 मई, 2022 को शाम 06:32 से
  • शुभ तिथि समाप्त: 10 मई 2022 को शाम 07:24 बजे तक

सीता नवमी 2022 का महत्व

माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं. इसलिए इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है. देवी सीता का विवाह भगवान राम से हुआ था, जिनका जन्म भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के दौरान नवमी तिथि को हुआ था. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सीता जयंती रामनवमी के एक महीने के बाद आती है. 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा जनक यज्ञ करने के लिए भूमि की जुताई कर रहे थे, तो उन्हें एक मटके में एक बच्ची मिली, जिसका नाम राजा जनक ने सीता रखा.

सीता नवमी 2022: पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठें, नहाएं और साफ कपड़े पहनें.
  • पूजा के लिए सभी सामग्री जैसे फूल, प्रसाद, नए कपड़े आदि तैयार करें. 
  • भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा को स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं.
  • चन्दन का तिलक करें, देवताओं को पुष्प, धूप और भोग अर्पित करें.
  • सीता नवमी व्रत कथा का पाठ करें, और पूजा संपन्न करने के लिए आरती करें.

ऐसा कहा जाता है कि पूजा के दौरान अगर भक्त 12 मुखी रुद्राक्ष की माला अपने हाथ या गले में धारण करते हैं, तो इससे उनके भीतर की शुद्धि और इच्छाशक्ति को मजबूत होती है.