Basant Panchami
Basant Panchami माघ महीने की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी होती है. इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती हैबसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता हैऔर बसंत पंचमी बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. इस दिन प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छटा के दर्शन होते हैं. पेड़ों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं. मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से संवर जाती है. खेतों में सरसों के पीले फूलों की चादर बिछी होती है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है. ज्योतिषी तो यहां तक कहते हैं कि अगर आपकी कुंडली में कुछ ग्रहों की कमजोर स्थिति आपकी समस्याएं बढ़ा रही है तो वसंत पंचमी के दिन आप कुंडली के उन ग्रहों को मज़बूत करने के अचूक उपाय भी कर सकते हैं.
बसंत पंचमी पर ग्रह बनेंगे मज़बूत
इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है. अगर पूरे श्रद्धा-भाव के साथ मां की पूजा की जाए तो मां इसके फलस्वरूप ज्ञान का आशीर्वाद देती है. मां सरस्वती की पूजन विधि.
- इस दिन पीले , बसंती या सफ़ेद वस्त्र धारण करें ,काले या लाल वस्त्र नहीं
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें
- सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे का प्रयोग इस कार्य के लिए करें
- मां सरस्वती को श्वेत चन्दन, पीले तथा सफ़ेद पुष्प जरूर अर्पित करें
- प्रसाद में मिसरी,दही समर्पित करें
- केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा
- "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का जाप करें