
सावन मास भगवान शंकर का महीना है. इस महीने में भक्तों की हर मुराद भगवान सुनते हैं. यह पूरा महीना पूजा-पाठ और भक्ति का माना जाता है. इस मौसम में हरियाली बहुत होती है. कहते हैं कि शंकर भगवान को हरियाली बहुत पसंद है और पूरे सावन शिव धरती की हरियाली में निवास करते हैं यानी भक्तों के बीच. शिव को दानी कहा जाता है. शिव मात्र एक ऐसे देवता हैं जो जरा सी पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त पर सब दान कर देते हैं. उदाहरण के तौर पर जब रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने भोले से उनके सोने का महल मांगा, तब भोले ने तुरंत दे दिया. जिसको आज पुराणों में रावन की सोने की लंका के नाम से हम जानते हैं.
अगर आप इस सावन कुछ संकल्प को धारण करते हैं तो शिव प्रसन्न होकर हर मनोकामना पूर्ण कर देंगे. अगर आपको लग रहा कि इन संकल्पों में आपको व्रत करना होगा तो समझिए, संकल्प का मतलब सिर्फ व्रत नहीं होता. कई योग या नियम भी संकल्प ही कहलाते हैं. इन संकल्पों में भाव को शुद्ध रखना जरूरी होता है. आइए जानते हैं उन संकल्पों को.
ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जाप
सावन में हर दिन सूर्योदय से एक घंटे पहले, ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर हर रोज दाहिने हाथ में चावल और गंगाजल लेकर, आंखें बंद करने के बाद अंगूठा और तर्जनी उंगली मोड़ कर शिव मंत्र का जाप करें. अंत में शंकर भगवान को उनका प्रिय भोग लगाएं. अगर आपने एक बार यह संकल्प ले लिया तो आप इसे तोड़ नहीं सकते हैं.
योग का संकल्प
हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में कम से कम एक घंटा प्राणायाम या सौम्य योगासन करें. ब्रह्म मुहूर्त में इन क्रियाओं को करने से ज्यादा फायदा मिलता है. इन योग क्रियाओं से शारीरिक और मानसिक ऊर्जाओं में वृद्धि तो होती ही है, साथ ही शांति भी मिलती है.
ध्यान विद्या और जाप
हर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में किसी साफ जगह पर बैठ कर, पीठ सीधी करके और आंखें बंद करके "ॐ नमः शिवाय" या महामृत्युंजय मंत्र का 11, 21, 51 या 108 बार जाप करें. ॐ के जाप से शरीर अंदर से साफ होता है. वहीं, पुराणों में बताया गया है कि महामृत्युंजय का जाप करने से अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रह जाता है.
उपवास और शिवलिंग अभिषेक
कोशिश करें कि सोमवार या पूरे मास उपवास करें इससे आत्मा और शरीर की शुद्धि होती है जिसका प्रमाण विज्ञान भी देता है. कोशिश करें कि रोज पूरे सावन भगवान शिव का जल या दूध से अभिषेक करें. दरअसल शिव को ऊर्जा को सोर्स माना जाता है और जल या दूध चढ़ने से वह ऊर्जा नियंत्रण में रहती है और पृथ्वी का संचालन संतुलित रहता है.
ध्यान योग
हर रोज ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान में बैठे, बिना किसी मंत्र जाप के और जो भी आपको चाहिए भविष्य में खुद के लिए उस बारे में मैनिफेस्ट करें. यह रोज करने के आपका छठा चक्र जागृत होता है, लक्ष्य की तरफ एकाग्रता बढ़ती है और दृष्टिकोण स्पष्ट होता जाता है.
अगर आप सभी पांचों या इनमें से कोई एक भी संकल्प लेते हैं तो कोशिश करें इनको रोज नियम से करने का. वरना अगर किसी भी तरह से यह संकल्प भंग हुए तो इन सब का आपके ऊपर कुप्रभाव भी पड़ सकता है.