
मध्यप्रदेश का रायसेन किला न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि एक रहस्यमयी परंपरा का भी साक्षी है- यहां स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर साल के 365 दिनों में सिर्फ एक दिन, वो भी महाशिवरात्रि पर सिर्फ 12 घंटे के लिए खुलता है. बाकी पूरे साल ये मंदिर एक मजबूत ताले के पीछे बंद रहता है, और श्रद्धालु केवल एक पाइप के सहारे मंदिर के बाहर से जलाभिषेक करते हैं.
उमा भारती भी रहीं असफल, प्रदीप मिश्रा का आव्हान भी नहीं चला
मंदिर का ताला खोलने की मांग कोई नई नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से लेकर अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा तक ने इस मंदिर के प्रति अपनी आस्था जताई और इसके कपाट सालभर खुलवाने की अपील की, लेकिन नतीजा वही रहा- ताला नहीं खुला. 11 अप्रैल 2024 को उमा भारती खुद गंगाजल चढ़ाने आईं लेकिन उन्हें भी ताले के कारण बाहर से ही पूजा करनी पड़ी.
इतिहास के पन्नों में दर्ज है रायसेन किले का गौरव
11वीं शताब्दी में बना यह रायसेन किला 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर फैला है और इसका क्षेत्रफल करीब 10 वर्ग किलोमीटर है. इतिहासकारों का मानना है कि किले का निर्माण करीब 1000 ईसा पूर्व हुआ था. यह किला न सिर्फ स्थापत्य का अद्भुत नमूना है बल्कि भारत की वीरांगनाओं के बलिदान की कहानियां भी यहां की दीवारों में दर्ज हैं.
इतिहास के दौरान अल्तमश, बलवन, खिलजी, अकबर और औरंगजेब जैसे कई सुल्तानों और बादशाहों ने इस किले पर हमला किया, लेकिन किला आज भी अडिग खड़ा है.
कैसे और क्यों बंद हुआ मंदिर?
मंदिर में स्थित शिवलिंग को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी आस्था है. लेकिन जब से यह मंदिर ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) के संरक्षण में आया, तब से इसे सालभर के लिए बंद कर दिया गया. 1974 में रायसेन नगर के लोगों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने खुद महाशिवरात्रि के दिन मंदिर खोलकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा की.
तब से यह परंपरा बनी कि हर साल महाशिवरात्रि को 12 घंटे के लिए मंदिर खोला जाता है, श्रद्धालु दर्शन करते हैं और मंदिर परिसर में मेला लगता है. लेकिन साल के बाकी दिनों में ताला लगा रहता है.
(राजेश कुमार रजक की रिपोर्ट)