
पूरे देश में होली की धूम नजर आने लगी है. बाजारों में होली के होली के रंग और पिचकारियां जमकर खरीदी जा रही हैं. रंग में भंग न पड़े इसके लिए जिला प्रशासन भी अपनी तैयारी में लगा हुआ है. लेकिन होली शुरू होने से पहले होलिका दहन की परंपरा है. प्रयागराज में तकरीबन 1200 से अधिक जगह पर होलिका दहन का कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. हालांकि, एक मोहल्ला है जहां केवल होलिका ही नहीं बल्कि प्रह्लाद का पुतला भी तैयार किया जाता है.
प्रह्लाद का भी पुतला रखा जाता है
इस होलिका दहन के लिए पहले हर इलाके के युवक चंदा इकट्ठा कर लकड़ियां इकट्ठा करते हैं. उसके बाद होलिका में होलिका और प्रह्लाद का भी पुतला रखा जाता है. इन पुतलों को बनाने का काम प्रयागराज के कीडगंज इलाके की एक गली में होता है. इस गली की एक खास बात है कि गली का नाम त्योहारों के अनुसार रख दिया जाता है. इसे ओरिजिनल होली वाली गली कहा जाता है. इस गली की खास बात है कि होली से पहले होलिका और प्रह्लाद के पुतले बनते हैं इसलिए इसका नाम होलिका वाली गली रखा जाता है.
लोग करते हैं अपने इलाकों में होलिका दहन
होलिका दहन करने वाले युवकों के मुताबिक, ये लोग हर साल अपने इलाकों में होलिका दहन करते हैं. जिसके लिए होलिका वाली गली में पहुंचकर अपने लिए होलिका और प्रसाद की पुतले को खरीदारी करते हैं. वहीं होलिका और प्रह्लाद का पुतला बनाने वाले कारीगर का कहना है कि कई सालों से इस काम को कर रहे हैं. हालांकि, पिछले साल की अपेक्षा थोड़ी कम बिक्री हो रही है, लेकिन खरीदार अभी भी आ रहे हैं.
दशहरा और नवरात्रि में भी बनती हैं मूर्तियां
आप को बता दें प्रयागराज के कीडगंज इलाके की इस गली में दशहरा के समय रावण भी बनाया जाता है. और उस समय में इसका नाम रावण वाली गली रख दिया जाता है. इसके अलावा जब देवी की मूर्तियां बनती हैं तो दुर्गा की मूर्ति वाली गली कहा जाने लगता है. अब चूंकि इस समय होली का मौसम है इसलिए इसको होलिका दहन वाली गली कहा जा रहा है. इस गली में पिछले कई सालों से कई परिवार मिलकर एक साथ होलिका और प्रह्लाद के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं.
(आनंद राज की रिपोर्ट)