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Unique Temple: ये है भारत का अनोखा मंदिर, जहां जिंदा व्यक्ति ख़ुद करते हैं अपना श्राद्ध और पिंडदान, जानिए क्या है धार्मिक मान्यता?

देश में इस समय पितृ पक्ष का समय चल रहा है. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लोग श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां जिंदा व्यक्ति अपना श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. भारत का ये अनोखा मंदिर देश के सबसे पवित्र शहर में से एक है.

Pitru Paksha 2025 (Photo Credit: PTI) Pitru Paksha 2025 (Photo Credit: PTI)
हाइलाइट्स
  • पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है

  • 15 दिन तक चलता है पितृ पक्ष काल

  • यहां जिंदा व्यक्ति करते हैं अपना श्राद्ध

पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. पितृ पक्ष (Pitru Paksha) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र काल है. यह समय विशेष रूप से पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने के लिए माना जाता है. पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. यह हर साल भाद्रपद मास के पूर्णिमा के अगले दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर अमावस्या तक चलता है. पितृ पक्ष लगभग 15 दिनों का होता है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है. माना जाता है कि इस समय तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. पितृ पक्ष के दौरान लोग अलग-अलग जगहों पर श्राद्ध और तर्पण करते हैं. आम तौर पर मृत लोगों का पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है लेकिन भारत में एक अनोखा मंदिर है. इस मंदिर में जिंदा व्यक्ति खुद अपना पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. आइए इस अनोखे मंदिर के बारे में जानते हैं.

कहां है ये मंदिर?

  • बिहार के गया में एक मंदिर ऐसा है जो बाकी सबसे बिल्कुल अलग और अनोखा है. यहां लोग जिंदा रहते हुए अपना श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. 
  • आमतौर पर श्राद्ध और पिंडदान मृतक व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं लेकिन गया में जिंदा व्यक्ति खुद यह अनुष्ठान करते हैं. यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और आज भी उतनी ही श्रद्धा के साथ निभाई जाती है.
  • बिहार का ये अनोखा मंदिर जनार्दन मंदिर है. इस मंदिर गया के सबसे फेमस मंदिरों में से एक है. यह मंदिर गया के भस्मकूट पर्वत पर स्थित है.
  • गया का ये अनोखा मंदिर पत्थरों से बना हुआ है. यहां भगवान विष्णु जनार्दन स्वरूप में विराजमान हैं. पितृ पक्ष के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है.

क्यों करते हैं अपना पिंडदान?

  • गया के जर्नादन मंदिर इकलौता मंदिर है जहां लोग मरने से पहला खुद अपना पिंड दान करते हैं. हालांकि, सभी लोग ऐसा नहीं करते हैं.
  • जिन लोगों की कोई संतान नहीं है या फिर परिवार में पिंडदान करने वाला कोई नहीं है. ऐसे लोग मरने से पहले गया के इस अनोखे मंदिर में खुद अपना पिंडदान करते हैं.
  • कुछ लोग परिवार होते हुए भी वैराग्य या संन्यास ले लेते हैं. ऐसे लोग भी इस मंदिर में अपना पिंडदान करने के लिए आते हैं. 
  • हिन्दू धर्म में ये मान्यता है कि अगर किसी का पिंडदान और तर्पण नहीं किया जाता है तो उसकी आत्मा भटकती रहती है. आत्मा को शांति नहीं मिलती है. 
  • माना जाता है कि गया के जनार्दन मंदिर में भगवान विष्णु खुद पिंड ग्रहण करते हैं. यहां पिंडदान करने से आत्मा को शांति मुक्ति जरूर मिलती है.
  • गया में एक अनोखी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपना श्राद्ध और पिंडदान करता है तो उसकी मृत्यु के बाद उसके परिजनों को यह अनुष्ठान नहीं करना पड़ता है.
  • ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं. मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक या अन्य लोकों में कष्ट नहीं झेलना पड़ता है.
Pitru Paksha
पितृ पक्ष 2025 (Photo Credit: PTI)

क्या है गया की धार्मिक मान्यता?

गया बिहार का एक प्राचीन धार्मिक शहर है जो मोक्ष धाम के नाम से भी फेमस है. गया का जिक्र पद्म पुराण, वायु पुराण और गरुड़ पुराण जैसे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. ऐसा माना जाता है कि यहां श्राद्ध और पिंडदान करने से न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि करने वाले व्यक्ति को भी मोक्ष मिलता है.

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  • गया में पिंडदान करने की सबसे पवित्र जगह विष्णुपद मंदिर है जहां भगवान विष्णु के पद चिन्ह हैं. गया का नाम गयासुर नामक एक दैत्य से जुड़ा है.
  • मान्यता है कि गयासुर बहुत बड़ा विष्णु भक्त था. उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे मोक्ष प्रदान करने की शक्ति दी.
  • गयासुर के शरीर में इतना पवित्रत्व था कि केवल उसके दर्शन मात्र से ही लोगों के पाप नष्ट हो जाते थे. यह देखकर देवता चिंतित हो गए और भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वह गयासुर को रोकें.
  • भगवान विष्णु ने गयासुर से कहा कि वह अपने शरीर को धरती पर समर्पित कर दे ताकि लोग वहां श्राद्ध और पिंडदान कर सकें. गयासुर मान गया और तब से यह जगह गया कहलाने लगी.

कहां-कहां होता है पिंडदान?

गया में 45 से ज्यादा पवित्र स्थान हैं जहां पिंडदान किया जाता है। इनमें से प्रमुख स्थान के बारे में आपको पता होने चाहिए. इन जगहों का अपना-अपना धार्मिक महत्व है और यहां पिंडदान करने से अलग-अलग प्रकार के दोष दूर होते हैं.

  • विष्णुपद मंदिर
  • फल्गु नदी
  • अक्षयवट (अमर वृक्ष)
  • सीता कुंड
  • प्रेतशिला पर्वत

हर साल पितृ पक्ष में में लाखों लोग गया आते हैं। इस दौरान गया में पितृपक्ष मेला लगता है. पूरे भारत और विदेशों से लोग श्राद्ध और पिंडदान करने आते हैं. मान्यता है कि इस समय किए गए पिंडदान का फल कई गुना बढ़ जाता है. गया का अनूठा जनार्दन मंदिर और वहां की जीवित पिंडदान की परंपरा भारत की प्राचीन आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है. लोग यहां केवल अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी आत्मा की मुक्ति के लिए भी आते हैं. यही वजह है कि गया को मोक्ष की नगरी कहा जाता है.