Cowdung Logs for Holika Dahan
Cowdung Logs for Holika Dahan होलिका दहन के साथ ही होली का पर्व शुरू हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते है होलिका दहन के लिए बहुत सारी लकड़ी लगती है और इससे न जाने कितने पेड़ों की बलि दी जाती है. साथ ही, लकड़ी जलाने से CO2 Emmission भी होता है. ऐसे में जयपुर के पिंजरापोल गौशाला में गाय के गोबर की लकड़ियां बनाई जा रही है जिन्हें गौकाष्ठ नाम दिया हैं.
इस गौकाष्ठ को बनाने में पूरी तरह गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है और ज़ब इसे जलाया जाता है तो वातावरण को ऑक्सीजन मिलती है. गोबर की बनी इन लकड़ियों की इस होली पर डिमांड बढ़ी है और देश के कई राज्यों में भारी मात्रा में गौकाष्ठ जयपुर से भेजी जा रही हैं.
सामान्य लकड़ी से ज्यादा फायदेमंद
गौकाष्ठ बनाने वाली कारीगर चांददेवी बताती है कि गाय के पवित्र गोबर से बनी इस लकड़ी को तैयार करने में भी ज्यादा समय नहीं लगता. गोबर से बनी ये लकड़ी साधारण लकड़ी की तुलना में बेहद सस्ती हैं और कम धुआं छोड़ती हैं, जिससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता. इसको बनाने में गौशाला की गायों का ही गोबर काम में लिया जाता हैं और गोबर को मशीन में डालकर कुछ ही समय में गौकाष्ठ तैयार हो जाता है.
हालांकि गौकाष्ठ को सुखाने में 15-20 दिन का समय जरूर लगता है, लेकिन सूखने के बाद इसकी उम्र काफी बढ़ जाती है. इस बार होलिका दहन के लिए इस लकड़ी की डिमांड बहुत ज्यादा है, इसलिए बड़ी मात्रा में दिन-रात गौकाष्ठ बनाने के काम में कारीगर जुटे हुए हैं.
होली पर 10 गुना बढ़ी डिमांड
गौशाला के प्रभारी राधेश्याम विजयवर्गीय ने बताया कि एक होलिका दहन में 1 पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल होता हैं. ऐसे जयपुर शहर में 5000 होलिका दहन होते है और देश में लाखों जगह होलिका दहन पर धड़ल्ले से पेड़ो की कटाई की जाती है, जिससे त्यौहार के नाम पर पर्यावरण को भारी नुकसान होता हैं. लेकिन अब गाय के गोबर की बनी गौकाष्ठ के इस्तेमाल से पेड़ो की कटाई को रोका जा सकता है.
जयपुर में पिछले 7 साल से गौकाष्ठ तैयार किए जा रहे हैं. लेकिन इस बार होली पर 10 गुना ज्यादा डिमांड बढ़ी हैं. पेड़ो की लकड़ी जहां 15 रूपये किलो की बिक्री में मिलती है उसकी जगह गौकाष्ठ 10 रूपये किलो मिल जाती हैं. यही नहीं सिर्फ 1.5 किलो गौकाष्ठ में होलिका दहन हो जाता है. ऐसे में इस होली आप भी होलिका दहन पर पेड़ों को बचाने और ताजा ऑक्सीजन लेने के लिए देशी गौ माता के गोबर से बनी गौकाष्ठ का उपयोग करें.
(विशाल शर्मा की रिपोर्ट)