scorecardresearch

योगी राज में कृष्ण भक्त रसखान की समाधि का जीर्णोद्धार, 4 करोड़ में बनेगा संग्रहालय

मथुरा के निकट गोकुल के पास भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त रसखान की समाधि है. यूपी सरकार द्वारा ब्रिज क्षेत्र में पुरातात्विक इमारतों को ठीक करने का काम तेजी से चल रहा है. रसखान की समाधि स्थल पर लाल पत्थर में गुम्बद का निर्माण कराया गया है.

कृष्णा की भक्ति में रंगी रसखान की समाधि कृष्णा की भक्ति में रंगी रसखान की समाधि
हाइलाइट्स
  • भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे महाकवि रसखान

  • फूलों की खुशबू से महकने लगी रसखान की समाधि

मुस्लिम कवि और सूफी संत रसखान की कृष्ण भक्ति के बारे में हर कोई जानता है. उन्होंने अनेकों कविताओं और दोहों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को आम जन तक पहुंचाया था. हिंदी साहित्य को पढ़ने और उसमें रुचि रखने वाला हर शख्स रसखान को जानता है और उनका पूरा नाम सैयद इब्राहिम था. 

रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी में किया था. इनका जन्म 1548 ईस्वी माना जाता है. लेकिन कुछ विद्वानों में उनके जन्म को लेकर कुछ मतभेद है. इनके गीतों में भक्ति और श्रृंगार की प्रधानता है. यह विट्ठलनाथ के शिष्य और वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे. 


भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे महाकवि रसखान  

मथुरा के निकट गोकुल के पास भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त रसखान की समाधि है. यूपी सरकार द्वारा ब्रिज क्षेत्र में पुरातात्विक इमारतों को ठीक करने का काम तेजी से चल रहा है.  रसखान की समाधि स्थल पर लाल पत्थर में गुम्बद का निर्माण कराया गया है. इसके अलावा आसपास की जगहों पर रसखान के छंदों को पत्थरों पर उखेरा गया है. 

बता दें, प्रदेश सरकार व तीर्थ विकास परिषद द्वारा रसखान की समाधि का जीर्णोद्धार एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्वीकृत किए गए चार करोड़ के बजट से एक संग्रहालय तैयार किया जा रहा है. इसमें महाकवि रसखान की रचनाएं पढ़ने के लिए लोगों को मुहैया कराई जाएंगी.  

फूलों की खुशबू से महकने लगी रसखान की समाधि

इसके अलावा यात्रियों के ठहरने के लिए विश्राम गृह, शौचालय व जलपानगृह की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगीं. समाधि स्थल के चारों तरफ खूबसूरत बगीचा तैयार किया गया है. इसमें रंग-बिरंगे गुलाब, चमेली, मोंगरा और गेंदा सहित अनेक तरह के फूल लगाए गए हैं. अब तक की खोज में महाकवि रसखान द्वारा 66 दोहे 4 सौरठा 225 सवैया 20 कविता और पांच पद सहित कुल 310 छंद प्राप्त हुए. रसखान की मृत्यु 85 साल की उम्र में हुई थी. भक्त रसखान का स्वर्गवास 85 वर्ष की आयु में हुआ. इनकी समाधि स्थल गोकुल और महावन के मध्य रमणरेती आश्रम के सामने है.