
सतयुग के श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठकर तीर्थ यात्रा कराई थी. उसी तरह इस कांवड़ यात्रा में बागपत के दो सगे भाई कलयुग के श्रवण कुमार बने हैं जो अपनी कावड़ में एक तरफ अपनी बुजुर्ग मां ऒर दूसरी तरफ 120 लीटर गंगाजल लेकर चल रहे हैं.
अपनी मां करतारी को अपनी कावड़ में बिठाकर कावड़ यात्रा कर रहे बागपत के ये दोनो भाई मल्लू ठाकुर और सुशील ठाकुर का कहना है कि उन्होंने भगवान शिव शंकर से कोई मन्नत नही मांगी है वह बस अपनी माता को गंगा स्नान कराने की इच्छा लेकर कावड़ लेने गए थे.
मां को है बेटों पर गर्व
अपने बेटों के कंधे पर कावड़ यात्रा कर रही मां करतारी देवी का कहना है उन्होंने कोई मन्नत नहीं मांगी थी. उनके बेटे उन्हें बस यह सोच कर लाए हैं कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को यात्रा करा सकते हैं तो वे भी मां को गंगा स्नान करा लाएंगे और कांवड़ भी ले लेंगे. करतारी को अपने बेटों पर गर्व है.
उनके बेटों में से एक, मल्लू ठाकुर ने बताया कि वे हर की पैड़ी से चले हैं. उन्होंने 7 जुलाई की सुबह 5:00 बजे जल उठाया था. मन्नत कुछ नहीं है बस भोले की कृपा है. उनकी इच्छा से आ रहे हैं. वहीं, दूसरे भाई सुशील ठाकुर का कहना है कि उन्होंने 120 लीटर जल उठाया है.
सास को कराया गंगा स्नान
इसी तरह की खबर कुछ समय पहल आई थी जिसमें एक महिला अपनी बेटी के साथ मिलकर अपनी सास को गंगा स्नान के लिए लेकर गई थी. उन्होंने अपनी सास को गंगा स्नान कराया और फिर अपने कंधों पर कांवड़ में बिठाकर घर की तरफ लौटी.
सावन का महीना है खास
11 जुलाई से शुरू हुआ सावन बहुत ही खास है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित है. देशभर में बाबा भोलेनाथ की धूम है. छोटे-बड़े मंदिरों में शिवजी की पूजा-पाठ चल रही है. सावन 9 जुलाई को खत्म होगा.
(संदीप सैनी की रिपोर्ट)