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Vishwakarma Puja: 17 सितंबर को धूमधाम से मनाई जाएगी दुनिया के पहले इंजीनियर-वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 

Vishwakarma Jayanti 2023 Date and Shubh Muhurat: मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है. व्यक्ति की कला में निखार आता है. विश्वकर्मा जयंती के दिन पूजा-अर्चना करने से आर्थिक उन्नति के मार्ग खुलते हैं.

भगवान विश्वकर्मा भगवान विश्वकर्मा
हाइलाइट्स
  • पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक

  • दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक भी है शुभ मुहूर्त 

हिंदू धर्म में विश्वकर्मा भगवान का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार हर साल 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस साल भी 17 सितंबर, रविवार के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी. आइए आज जानते हैं क्या है शुभ मुहूर्त और कैसे विश्वकर्मा भगवान की पूजा करनी चाहिए?

आर्थिक उन्नति का मिलता है आशीर्वाद 
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में पूजा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, कन्या संक्रांति के दिन ब्रह्मा जी के पुत्र भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. इन्हें स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है. इस विशेष दिन पर भगवान विश्वकर्मा की उपासना करने से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में आ रही परेशानियों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. विश्वकर्मा पूजा के दिन यंत्र और औजारों की पूजा की जाती है.

शुभ मुहूर्त 
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाएगी. इस दिन पूरे दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जा सकती है लेकिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक है. एक और मुहूर्त है जिसे और भी खास माना गया है, जो 17 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक का है.

विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे अति शुभ योग 
1. द्विपुष्कर योग: सुबह 10.02 से सुबह 11.08 बजे तक. 
2. अमृत सिद्धि योग: सुबह 06.07 से  सुबह 10.02 बजे तक.
3. ब्रह्म योग: 17 सितंबर को प्रात: 04.13 से 18 सितंबर 2023 को प्रात: 04.28 बजे तक.
4. सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06.07 से लेकर सुबह 10.02 बजे तक.

पूजा विधि
1. विश्वकर्मा पूजा के दिन कामकाज में आने वाले हर तरह के औजार व यंत्रों की साफ-सफाई करनी चाहिए. 
2. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
3. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कर चौकी रखें और उसपर पीला कपड़ा बिछाएं.
4. चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें. कलश भी रखें. 
5. कुमकुम, हल्दी, अक्षत, फूल माला से भगवान की पूजा करें.
6. इसके बाद फूल अक्षत लेकर ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम मंत्र पढ़ें और चारों ओर छिड़कें.
7. इसके बाद सभी मशीन और औजार आदि पर रक्षा सूत्र बांधे और प्रणाम करें.
8. भोग लगाएं और भगवान विश्वकर्मा की आरती कर प्रसाद वितरण करें.

विश्वकर्मा पूजा का महत्व
शास्त्रों में यह बताया गया है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन कार्यस्थल पर और कारखानों में भगवान विश्वकर्मा की उपासना करने से व्यापार में वृद्धि होती है और आर्थिक उन्नति के मार्ग खुलते हैं. साथ ही कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कई प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं. इसके साथ साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मान्यता है कि प्राचीन काल के सभी प्रसद्ध नगरों का निर्माण विश्वकर्मा भगवान ने किया है. यहां तक कि उन्होंने स्वर्ग से लेकर लंका, द्वारका जैसे नगरों के साथ साथ भगवान शंकर के त्रिशूल, हनुमान भगवान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल व कवच तक का निर्माण किया है. इसलिए हर तरह के यंत्रों और औजारों से अच्छी तरह से काम करने के लिए भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद की जरूरत होती है. विश्वकर्मा पूजा के दिन विधिविधान से उनकी पूजा करने से सालों भर भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है.