Wednesday Fast Puja Vidhi 
 Wednesday Fast Puja Vidhi बुधवार का व्रत भगवान गणेश और बुध देव के लिए रखा जाता है. इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. अगर आप बुध देव के लिए व्रत कर रहे हैं तो आपका बुध ग्रह मजबूत होता है.
मान्यता है कि बुधवार का व्रत करने से जीवन में सुख, शांति, और यश बना रहता है. साथ ही, इससे बुध ग्रह से जुड़े दोषों से छुटकारा मिलता है. बुधवार को व्रत करने से करियर में सफलता मिलती है, मांगलिक कार्यों में बाधा नहीं आती, और आरोग्य और धन की प्राप्ति होती है. बुध को माल और व्यापारियों का स्वामी माना जाता है, इसलिए अगर व्यापार में परेशानियां आ रही हैं, तो बुधवार का व्रत करने से वे दूर हो सकती हैं. बुध देव को बुद्धि का देवता भी माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से दिमाग तेज होता है और पढ़ाई में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.
गणेश जी के व्रत की पूजा-विधि
गणेश जी के व्रत का उद्यापन: हमेशा किसी पंडित से पुछकर ही व्रत शुरू करें और उनसे यह भी पूछें कि कितने बुधवार व्रत करने के बाद उद्यापन करना है. आमतौर पर 21 या 45 बुधवार का व्रत किया जाता है. व्रतों की अवधि पूरी होने के बाद, उद्यापन करना चाहिए. उद्यापन के दिन, सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें. घर के मंदिर में गणपति जी की विधि-विधान से पूजा करें. 
उद्यापन के दौरान, व्रत की कथा सुनें और गणेश जी की महिमा का गुणगान करें. 
बुध देव के व्रत की पूजा-विधि
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से बुध देव के व्रत आरंभ करें और लगातार 21 बुधवार तक करें. सुबह स्नान करके हरे वस्त्र पहनें और भगवान बुध की पूजा करें और फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. आपको सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और फिर अपने घर की सफाई करनी चाहिए. पूरे घर को गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल से पवित्र करें. 
अब जहां भी घर का ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) हो वहां भगवान बुध या शंकर की मूर्ति लगाएं और अगर आपके पास मूर्ति नहीं है तो कोई तस्वीर लगा दें तो भी काम चल जाएगा. धूप, अक्षत, बेलपत्र और घी के दीपक से भरी पूजा की थाली के साथ, मंत्र का जाप करें और बुध देव की पूजा करें.
जब पूरा दिन समाप्त हो जाए और आपका व्रत भी समाप्त हो जाए, तो शाम के समय भगवान बुध की पूजा करें और व्रत कथा सुनें या पढ़ें. आरती करें और सूर्यास्त के बाद दीपक, अगरबत्ती, गुड़, भात (उबले चावल), दही से पूजा करें और फिर प्रसाद वितरित करें.
बुध देव के व्रत का उद्यापन: धर्म ग्रंथों के मुताबिक, बुधवार का व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के बुधवार से शुरू करना चाहिए. इसके लिए 7, 11, या 21 बुधवार व्रत का संकल्प लिया जा सकता है. व्रत की अवधि पूरी होने के बाद, आखिरी बुधवार के दिन पूजा-पाठ, दान के बाद उद्यापन करना चाहिए. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हरा वस्त्र पहनें. पूजा घर को साफ़ करें और सभी सामग्री इकट्ठा करें. लकड़ी की चौकी पर हरा वस्त्र बिछाएं और कांस्य का पात्र रखें. पात्र के ऊपर बुध देव की मूर्ति रखें. सामने आसन पर बैठ जाएं और सभी पूजन सामग्री इकट्ठा करें. बुध मंत्र से हवन करें और पूर्णाहुति दें. ब्राह्मणों को मीठा भोजन कराएं और दान दें.