
हर साल रक्षाबंधन के दिन, भारत भर में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं. यह एक प्यारा त्योहार होता है, जिसमें मिठाइयां, हंसी-ठिठोली, प्यार और भाई द्वारा बहन की जीवनभर रक्षा का वादा शामिल होता है. लेकिन इन रस्मों के पीछे एक और गहरा, आध्यात्मिक पहलू भी होता है- रक्षासूत्र मंत्र का उच्चारण, जिसके बारे में बहुत कम लोग बात करते हैं.
रक्षासूत्र मंत्र और उसका अर्थ
यह मंत्र एक प्रार्थना है, जिसे राखी बांधते समय पुजारी या बहन खुद बोल सकती है.
मंत्र:
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
इसका मतलब है, "मैं यह पवित्र धागा तुम्हें उसी तरह बांध रही हूं, जैसे भगवान विष्णु ने शक्तिशाली राजा बलि को बांधा था. यह धागा तुम्हारी हमेशा रक्षा करे और कभी ढीला न हो.”
यह मंत्र राजा बलि की कथा से जुड़ा है, जो एक महान असुर (दानव) राजा थे. कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने राजा बलि की पूजा के समय उसकी कलाई पर यह रक्षा सूत्र बांधा था ताकि वह सदैव सुरक्षित रहे.
आध्यात्मिक बंधन भी है राखी
रक्षाबंधन को अक्सर भाई-बहन के प्यार और भावनाओं से जोड़ा जाता है. लेकिन जब राखी बांधते समय यह मंत्र बोला जाता है, तो यह सिर्फ एक धागा नहीं रहता, यह रक्षासूत्र बन जाता है. यानी ऐसा धागा जो दिव्य शक्ति से भरपूर होता है. यह भाई को न सिर्फ शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी सुरक्षित रखने की प्रार्थना बन जाता है.
रक्षासूत्र मंत्र क्यों ज़रूरी है?
आज के समय में जब त्योहारों को केवल गिफ्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित कर दिया गया है, ऐसे में इस मंत्र का महत्व और भी बढ़ जाता है. रक्षासूत्र मंत्र कोई साधारण शब्द नहीं हैं- ये एक प्राचीन ऊर्जा, सुरक्षा की भावना, और ईश्वर का आशीर्वाद लेकर आते हैं. जब बहन यह मंत्र बोलते हुए राखी बांधती है, तो वह भाई के जीवन में शक्ति, रक्षा और सुख की कामना करती है.
2025 में रक्षाबंधन कब है?
साल 2025 में रक्षाबंधन शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन सिर्फ मिठाइयां बांटने या तोहफे देने का दिन नहीं है. यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक प्रार्थनाओं में आज भी वही शक्ति है, जो हमारे रिश्तों को और गहरा, और मजबूत बनाती है.
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