Devavrat Mahesh Rekhe
Devavrat Mahesh Rekhe प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में देवव्रत महेश रेखे ने 2 अक्टूबर से 30 नवंबर तक दंडक्रम पारायण किया. यह काम पिछले 200 साल में कोई नहीं कर पाया था. बड़े-बड़े विद्वान भी ऐसा करने में नाकाम रहे. लेकिन 19 साल के देवव्रत ने ये कारनाम कर दिखाया. इससे पहले ये कारनामा 200 साल पहले वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने किया था.
200 साल बाद पहली बार हुआ ये-
देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के 200 मंत्रों से युक्त दंडक्रम पारायण को बिना रुकावट के 50 दिनों में पूरा किया. उन्होंने ये काम 2 अक्टूबर से 20 नवंबर तक किया. इससे पहले 200 साल पहले महाराष्ट्र के नासिक में दंडक्रम पारायण वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने किया था. इसमें कई वैदिक श्लोक और पवित्र शब्दों का त्रुटिहीन उच्चारण शामिल है.
पीएम मोदी ने की तारीफ-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट करके वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे की तारीफ की. उन्होंने लिखा कि 19 साल के देवव्रत महेश रेखे ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है. उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है.
भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को ये जानकर खुशी होगी कि देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के 2000 मंत्रों वाले दंडक्रम पारायण को बिना किसी रुकावट के 50 दिनों में पूरा किया है. इसमें अनेक वैदिक ऋछाएं और पवित्र शब्दों के त्रुटिहीन उच्चारण शामिल हैं. ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा का सर्वोत्तम उदाहरण है.
पीएम मोदी ने आगे लिखा कि काशी का सांसद होने के नाते मुझे इस बात का गर्व है कि उनकी यह अद्भुत साधना इस पवित्र धरती पर संपन्न हुई. उनके परिवार, संतों, मुनियों, विद्वानों और देशभर की उन सभी संस्थाओं को मेरा प्रणाम, जिन्होंने इस तपस्या में उन्हें सहयोग दिया.
कौन हैं देवव्रत महेश रेखे?
देवव्रत महेश रेखे महाराष्ट्र के अहिल्यानगर के रहने वाले हैं. उनका जन्म एक साधारण फैमिली में हुआ. उनके पिता का नाम महेश चंद्रकांत रेखे है. वेदव्रत ने 5 साल की उम्र से ही वेद मंत्र बोलना शुरू कर दिया था.
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