Mandaleshwar Awdheshanand Giri
Mandaleshwar Awdheshanand Giri उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले का 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन समापन हो जाएगा. प्रयागराज महाकुंभ में अभी तक 60 करोड़ से ऊपर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. साधु-संतों के अलावा पीएम मोदी से लेकर सीए योगी आदित्यनाथ तक डुबकी लगा चके हैं. काशी में जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने हमारे साथ एक खास इंटरव्यू में महाकुंभ से लेकर गंगा जल की पवित्रता पर बात की. उन्होंने आईआईटी बाबा से लेकर ममता दीदी के मृत्यकुंभ वाले बयान पर अपने विचार व्यक्त किए. सीएम योगी के उसे बयान पर जिसमें गिद्धों को लाश दिखी... सूअरों को गंदगी, इस पर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी सहमत दिखे. आइए जानते हैं उन्होंने किन सवालों के क्या जवाब दिए.
क्यों कुंभ से काशी आते हैं साधु-संत
आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने बताया कि प्रयागराज से काशी आकर कुंभ को पूर्ण करना हमारी परंपरा सी रही है. कुंभ के बाद तमाम साधु, संत संन्यासी, महामंडलेश्वर, नागा साधु सभी काशी आते हैं. यहीं हमारे लिए महाकुंभ पूर्ण होता है. हम लोग परंपरा निभाने वाले संत-संन्यासी हैं इसलिए सभी लोग प्रयाग के बाद काशी आते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार का जो महाकुंभ था, वह दिव्य और अलौकिक था. यह महाकुंभ इतना विशाल होगा हमने इसकी कल्पना नहीं की थी, यह अकल्पनीय रहा, अविश्वसनीय रहा हमारे लिए. इस बार ऐसे-ऐसे साधु, महात्मा और संत आए जो पहले कभी कुंभ में नहीं आए थे. विशेष कर दक्षिण भारत से कितने साधु-संन्यासी कभी नहीं आते थे. आप देख रहे हैं यहां काशी के घाटों पर हमारी धुनिया लग चुकी है. साधु-संत अलख जगा रहे हैं. संकीर्तन और अनुष्ठान कर रहे हैं.
जो साधु संत कभी नहीं आए कुंभ में वह इस बार आए
कितने लोगों के आने की वजह और वैसे साधु जो कभी नहीं आते थे, उनके इस कुंभ में आने की वजह मैं, जो देखता हूं, वह यह है की सभी सनातन के नाम पर एक होने को आतुर हैं. सामाजिक समरसता और एकता के लिए कई संत और महापुरुष अपनी परंपराएं त्याग कर महाकुंभ में आए. 62-63 करोड़ लोगों का आना मतलब लगभग आधा भारत इस महाकुंभ में आ गया और जो नहीं आए उन्होंने भी मन से यहां आस्था की डुबकी लगाई. लगभग आधे भारत को प्रयागराज ने समाहित किया.
भगदड़ था दुर्भाग्यपूर्ण
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण था लेकिन अचानक एक ज्वार उठा और यह घटना घट गई. आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि मुझे लगता है कि इसकी गहरी जांच होनी चाहिए. मुझे लगता है कि साजिश की जांच होनी चाहिए. हम इसे नकार नहीं सकते. थोड़ी देर के लिए अवस्था जैसी दिखाई दी लेकिन बाद में योगी जी के प्रशासन ने सब कुछ बहुत बेहतर ढंग से संभाल लिया.
NGT और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड पर क्या बोले अवधेशानंद गिरी
NGT के काम का का मैं आदर करता हूं लेकिन गंगा सिर्फ जल नहीं है, गंगा आस्था है, दिव्यता है, ब्रह्म द्रव्य है. मां गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली हैं. गंगा मैली कैसे हो सकती है, उसमें ब्रह्म द्रव है. गंगा अशुद्ध कैसे हो सकती है. गंगा महादेव के मस्तक से निकली हैं. गंगा उद्धार के लिए धरती पर आई हैं. गंगा महज वाटर बॉडी नहीं हैं. एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों की कुछ बातें हो सकती हैं लेकिन यह हमारे अंतरण को मान्य नहीं है.
ममता दीदी के मृत्यकुंभ वाले बयान पर क्या बोले स्वामी अवधेशानंद गिरी
अवधेशानंद गिरी बोले मुझे उनकी बुद्धि पर दया आती है, जिन्होंने इसे मृत्युकुंभ कहा. अपने पुरखों को, दिव्यताओं को क्यों अपमानित करते हैं. राजनीतिक विरोध करना है तो किसी और दिशा में करें और भी कई मद्दे हैं, जिस पर राजनीति की जा सकती है लेकिन हमारे सनातन परंपराओं पर प्रहार न करें. भारत अभी यह स्वीकार नहीं करेगा. भारत को यह मान्य नहीं है. कुछ वक्त पहले लोग राम के अस्तित्व को ही स्वीकार नहीं कर रहे थे. ममता दीदी को यह समझना चाहिए कि गंगासागर में आखिर गंगा क्या है. करोड़ भारतीय जब गंगा सागर पहुंचते हैं तो वहां भी मोक्ष के लिए पहुंचते हैं. दीदी बंगाल में बैठी हैं, उन्हें यह भी समझना होगा की गंगा तारती है, मोक्षकारक है.
सीएम योगी के बयान से सहमत दिखे
सीएम योगी के उसे बयान पर जिसमें गिद्धों को लाश दिखी, सूअरों को गंदगी पर आइए जानते हैं क्या बोले अवधेशानंद गिरी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी प्रचंड परुषार्थ वाले हैं, पीठाधीश्वर हैं. मैं उनकी बातों से पूरी तरह से सहमत हूं, जाकि रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी, उन्होंने बिल्कुल ठीक कहा है.
आईआईटी बाबा को लेकर क्या कहा अवधेशानंद गिरि ने
आईआईटी बाबा को लेकर हमारे कुछ साधु-महात्मा मेरे पास आए थे. सोशल मीडिया और तकनीक के इस दौर में मैंने जो उन्हें पाया वह तकनीक सोशल मीडिया और इस नई संचार क्रांति की उपज रहे. सोशल मीडिया के इस दौर में मेरी शिकायत भी है कि आपको Reels बनाने के लिए तो लोग दिखे लेकिन सोशल मीडिया वालों को वैसे साधु-संत नहीं दिखाई दिए, जो भीगे कपड़े पहनकर गंगा से अपनी कुटिया तक आते रहे. दिन भर में एक बार भोजन करते रहे. एक महीने तक लगातार महाकुंभ में त्रिवेणी तट पर उपवास करते रहे. आईआईटी बाबा को लेकर उन्होंने कहा कि भूले-भटके लोग कमरे तक ही सिमट कर रह गए.