Woman reading Ramayana infront of Shivlinga in Sawan
Woman reading Ramayana infront of Shivlinga in Sawan सावन का महीना शिव-भक्ति के लिए जाना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि सावन के महीने में रामायण पाठ या राम का नाम जपना बहुत शुभ माना जाता है? यह सिर्फ धार्मिक नियम नहीं, बल्कि भगवान शिव और रामजी के आपसी रिश्ते का सम्मान है.
शिव और राम- कौन है किसका उपासक?
रामचरित मानस और शिव पुराण, दोनों में एक गहरी कथा मिलती है. जब भगवान राम लंका पर चढ़ाई के लिए निकले, तो उन्होंने सबसे पहले भगवान शिव की आराधना की और रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की.
शिव भी राम के इतने भक्त थे कि उन्होंने खुद माता पार्वती से कहा, "मैं उस शक्ति का ध्यान करता हूं जो स्वयं परम ब्रह्म हैं- श्रीराम." यह परस्पर भक्ति का अद्भुत उदाहरण है. शिव राम के आराधक और राम शिव के उपासक.
तुलसीदास ने क्या लिखा?
तुलसीदास जी ने भी "रामचरित मानस" में लिखा है,
"शिव द्रोही मम दास कहावै, सो नर सपनेहुँ मोहि न भावै."
अर्थात: जो शिव से द्वेष रखता है, वह राम का भक्त कभी नहीं हो सकता.
यानी राम और शिव की भक्ति एक-दूसरे से अलग नहीं की जा सकती.
सावन में रामायण पाठ क्यों है शुभ?
सावन सिर्फ शिव भक्ति का नहीं, राम कथा का भी महीना है. अगर आप चाहते हैं कि शिव आपकी हर मनोकामना पूरी करें, तो इस सावन राम का नाम लीजिए, रामायण का पाठ कीजिए और शिव-राम भक्ति में लीन हो जाइए.
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