इन मंदिरों में उतरता है सांप का जहर
इन मंदिरों में उतरता है सांप का जहर यूं तो हमारे देश की बहुत सारी खासियतें हैं, इन्हीं खासियतों में एक खासियत जगह- जगह मंदिरों का होना भी है. धार्मिक रुप से सभी मंदिर अपने आप में खास हैं. लेकिन कई मंदिर ऐसे हैं जिनके बारे में जानने की दिलचस्पी इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि इन प्राचीन मंदिर को लेकर कुछ रहस्मयी बातें सदियों से चली आ रही हैं. ज्योतिष के मुताबिक हिंदू धर्म में कई ऐसी बाते हैं जिनका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण तो नहीं है लेकिन इनके अस्तित्व को कोई नजरअंदाज भी नहीं कर सकता.
आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जाने से सांप का जहर उतर जाता है. हांलाकि सिर्फ जाने भर से सांप का जहर उतर जाने वाली बात पर यकीन करना मुश्किल है क्योंकि मन में ये सवाल जरूर आता है कि आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है कि यहां पर सबसे दहरिले सांपों का जहर बस कुछ ही देर में उतर जाता है.
उत्तराखंड में देवभूमि में एक जगह ऐसी है जहां सांप काटे जाने के बावजूद सांप का जहर उतर जाता है. बताया जाता है कि इस गांव में सदियों से नागों की पूजा होती आ रही है इसलिए इस मान्यता है कि इस गांव पर नांग देवता की कृपा है. गांव में हर साल 13 अप्रैल को नाग देवता की पूजा अर्चना करने का विधान है. इस पूजा में शामिल करने के लिए बहुत दूर दूर से लोग आते हैं. इसी के साथ इस मंदिर में ये भी मान्यता है कि अगर सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना नाग देवता जरूर पूरा करते हैं.
इसी तरह की एक जगह छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में भी है. जहां पर किसी को सांप ने काटा हो और वो आए तो उसका जहर उतर जाता है. रायपुर के डिघारी गांव में भी सांपों के साथ गहरी दोस्ती है. यहां कभी भी कोई सांप को नहीं मारते हैं. ना ही यहां के सांप किसी व्यक्ति को काटते हैं.
लेकिन अगर किसी को कहीं सांप ने काटा हो तो इस मंदिर में उसका जहर उतर जाता है. इसके पीछे की ये मान्यता बताई जाती है कि इस गांव में एक बार किसी ब्राह्मण ने सांप की जान बचाई थी. यह उस सांप का ही वरदान है कि इस गांव में किसी को सांप नहीं काटता. वहीं दूसरी जगह से अगर कोई आए जिसे सांप ने काटा हो तो सांप की कृपा से उसकी जान बच जाती है.