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Yogini Ekadashi 2025: योगिनी एकादशी का व्रत रखने से सारे पाप जाते हैं धूल... भगवान विष्णु की कृपा से बीमारियां हो जाती हैं दूर... 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर मिलता है पुण्य

Yogini Ekadashi vrat 2025: योगिनी एकादशी के दिन जो भक्त सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करते हैं उनकी सारी मुरादें पूरी होती हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने खुद युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी का महत्व बताया था. आइए जानते हैं  योगिनी एकादशी किस दिन मनाई जाएगी और क्या है पूजा विधि?

Lord Vishnu Lord Vishnu
हाइलाइट्स
  • 21 जून 2025 को रखा जाएगा योगिनी एकादशी का व्रत  

  • भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था योगिनी एकादशी का महत्व

Yogini Ekadashi 21 June 2025: हिंदू धर्म में साल में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं. इन सभी व्रतों का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भक्त के सारे पाप धूल जाते हैं.

हरि की कृपा से सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं. योगिनी एकादशी का एक व्रत रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर पुण्य मिलता है. जो भी भक्त योगिनी एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना करते हैं उनकी सारी मुरादें पूरी होती हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने खुद  युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी का महत्व बताया था. 

कब रखा जाएगा योगिनी एकादशी का व्रत 
वैदिक पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 7:19 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 22 जून 2025 को सुबह 4:28 बजे होगा. हिंदू धर्म में उदयातिथि मान्य होती है. इसके अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून 2025 को रखा जाएगा. योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले भक्त पारण 22 जून 2025 को करेंगे. 

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क्या है योगिनी एकादशी की पूजा विधि
1. योगिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद पीले रंग का स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए.
2. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. फिर भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
3. योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी के साथ पीपल के वृक्ष की भी पूजा करनी चाहिए.
4. योगिनी एकादशी के दिन मंदिर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें. इसके बाद विष्णु भगवान का जलाभिषेक करें.
5. विष्णु भगवान को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें. फल, मिठाई और सात्विक भोजन भगवान को अर्पित करें.
6. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें.
7. योगिनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
8. योगिनी एकादशी के दिन पीपल का पौधा लगाएं.
9. योगिनी एकादशी के दिन तुलसी की पूजा करें, लेकिन तुलसी जी छूने से बचें.
10. तुलसी के पौधे की दूर से परिक्रमा करें और दीपक जलाएं.
11. अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद बांटें.
12. योगिनी एकादशी के दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें.

योगिनी एकादशी के दिन क्या नहीं करें
1. योगिनी एकादशी के दिन चावल और तामसिक भोजन का सेवन न करें.
2. योगिनी एकादशी के दिन साबुन और तेल का इस्तेमाल नहीं करें. 
3. योगिनी एकादशी के दिन बाल, नाखून और दाढ़ी नहीं कटाने चाहिए. 
4. इस दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें और न ही मन में बुरे विचार रखें.
5. योगिनी एकादशी के दिन काले कपड़े न पहनें. 
6. इस दिन तुलसी के पत्तों न तोड़ें और न ही इस पौधे पर जल चढ़ाएं.

योगिनी एकादशी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में योगिनी एकादशी का महत्व बताया गया है. भगवान श्रीकृष्ण ने खुद धर्मराज युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी का महत्व बताया था. पौराणिक कथा के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता है.ऐसी मान्यता है कि जो इस व्रत को करता है, उसे पृथ्वी पर सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं. इस व्रत को करने से बीमारियां और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.  

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक प्राचीन काल में हेममाली नाम का एक माली था, जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा कुबेर का श्राप मिला. इससे उसे कुष्ठ रोग हो गया. तब एक ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा. मुनि के आदेश का पालन करते हुए हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से वो पूरी तरह से रोगमुक्त हो गया और उसे शाप से मुक्ति मिल गई. तभी से इस एकादशी का इतना महत्व है. योगिनी एकादशी के दिन गीता का पाठ भगवान विष्णु की मूर्ति के समाने बठकर करने से पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.