अच्छी बात के इस एपिसोड में पंडित धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि 'मरने के बाद प्रेतआत्मा मत बनो, जीते जी ही प्रिय आत्मा बन जाओ.' महाराज जी ने 'रामकाज' और 'कामकाज' के भेद को स्पष्ट करते हुए कहा कि हनुमान जी ने अपना जीवन राम के काम में लगाया, जबकि आम लोग कामकाज में ही उलझे रहते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सच्चा मोक्ष मरने के बाद नहीं, बल्कि जीते-जी कामनाओं से मुक्त होकर और ईश्वर के भक्तों का संग पाकर ही मिलता है. देखिए अच्छी बात.