अमरनाथ की पवित्र गुफा में बनने वाला हिमलिंग विज्ञान के लिए एक बड़ी चुनौती है, जबकि श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. इस गुफा का महत्व सिर्फ हिम शिवलिंग के निर्माण के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि यहीं भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व की कहानी सुनाने के लिए इसी गुफा में लाए थे. कहानी सुनने के दौरान माता पार्वती को नींद आ गई, लेकिन वहां मौजूद कबूतरों का एक जोड़ा कथा सुनता रहा, जिससे उन्हें भी अमृत प्राप्त हुआ. आज भी अमरनाथ गुफा के दर्शन करते समय कबूतर दिखाई देते हैं. यह आश्चर्य की बात है कि जहां ऑक्सीजन की मात्रा न के बराबर है और खाने-पीने का कोई साधन नहीं, वहां ये कबूतर कैसे रहते हैं. मार्कंडेय ऋषि से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार, 'इस व्रत संजीवनी मंत्र के जाप से जो है वो व्यक्ति को जो है वो समस्त जो है जो उसके जीवनकाल के अंदर मृत्यु को देने वाला जो कोई भी इस प्रकार का कार्य है वो नष्ट हो जाता है और उसकी आयु भगवान जो है। वो अनंतकाल तक उसकी आयु हो जाती है। ऐसा शिव में पुराण में लिखा हुआ है.' इस दिव्य गुफा में हर सावन में हिमलिंग का बनना किसी चमत्कार से कम नहीं है. यह हिमलिंग पूर्णिमा को अपने पूर्ण आकार में होता है और अमावस्या तक पिघल जाता है, जिसका संबंध चंद्रमा से भी माना जाता है. यह बर्फ आम बर्फ से अलग और बेहद ठोस होती है.