अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक करीब 3,50,000 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है. जिन श्रद्धालुओं ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए जम्मू में ऑफलाइन पंजीकरण की सेवा भी शुरू हो गई है. यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. खास तौर पर बालटाल और पहलगाम के बेस कैंप में सीआरपीएफ ने माउंटेन रेस्क्यू टीम को तैनात किया है. यह टीम अलग-अलग स्थानों पर मौजूद रहती है और इसका इस्तेमाल ऑक्सीजन की कमी या बारिश और लैंडस्लाइड के समय फंसे लोगों को रेस्क्यू करने के लिए किया जाता है. बालटाल रूट पर करीब दर्जन भर टीमें तैनात हैं, वहीं पहलगाम रूट पर भी ऐसी टीमें मौजूद हैं. अमरनाथ गुफा समुद्र तल से करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां बर्फ से खुद ब खुद बनने वाला शिवलिंग देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं. यात्रा के लिए दो रास्ते हैं - पहलगाम से 48 किलोमीटर और बालटाल से 14 किलोमीटर. पहलगाम रूट पुराना और आसान है, जबकि बालटाल रूट खड़ी चढ़ाई वाला है. इस साल भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त जोश देखने को मिल रहा है. एक श्रद्धालु ने कहा, "कोई डर नहीं है। कोई आयेंगे, जोश आयेंगे और डेढ़ से 2,00,000 पब्लिक आयेगी और जो 80 दिन की यात्रा है कम से कम टारगेट है। चार से 5,00,000 पब्लिक आयी." जम्मू से पहला जत्था 2 जुलाई को यात्री निवास से रवाना होगा. सरकार ने यात्रियों के लिए ठहरने और खाने-पीने का शानदार इंतजाम किया है. स्थानीय लोग भी हर तरह से श्रद्धालुओं की मदद कर रहे हैं. सुरक्षा बल और पुलिस यात्रियों को पूरी सुरक्षा देने के लिए पुख्ता रणनीति तैयार कर चुके हैं. लैंडस्लाइड की प्री-प्लानिंग के लिए सेना, सीआरपीएफ, जम्मू कश्मीर पुलिस और जम्मू कश्मीर स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स तैयार हैं. पहली बार काफिले की सुरक्षा के लिए जामर लगाए गए हैं और हाईवे से जत्थों का काफिला गुजरने का ड्राई रन भी किया गया है.