प्राण प्रतिष्ठा के दो मुख्य चरण नेत्रोन्मिलन और श्रृंगार हैं, जिसमें मूर्ति में भगवान के अंश को प्रविष्ट कराया जाता है। पिछले वर्ष २२ जनवरी को राम लला के प्राण प्रतिष्ठित होने पर जब उनके नेत्रों से पट हटा, तो श्रद्धालु रोमांचित हो गए और रोने लगे, क्योंकि "ऐसे कोई पत्थर की मूर्ति को देखकर होता है क्या...वो एक पत्थर की मूर्ति को देख कर के वो रोने लगता है।" अयोध्या में लव कुश द्वारा राम जी के दरबार में गाई गई 'हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की' का भी उल्लेख है।