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बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, जानें क्यों है 'अष्टम भू बैकुंठ' और अग्नि तीर्थ का महत्व

उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के बाद आज बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा 2025 पूरी तरह से शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में विधि-विधान से कपाट खोले गए, जिसके बाद हजारों श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. एक पूर्व धर्माधिकारी ने बताया कि कपाट खुलने का दिन देवताओं और मनुष्यों के बीच संवाद का होता है और आज मनुष्यों ने पूजा का चार्ज देवताओं से लिया है. बद्रीनाथ धाम के कपाट ब्रह्म मुहूर्त में खुल गए हैं, जिसे शास्त्रों में 'अष्टम भू बैकुंठ' कहा गया है. यह स्थान मूलतः भगवान शिव और पार्वती का था, जहाँ भगवान विष्णु ने तपस्या की और माँ लक्ष्मी बेर का वृक्ष बनीं. यहाँ स्थित तप्त कुण्ड को अग्नि तीर्थ कहा जाता है और मान्यता है कि छह माह मनुष्य और छह माह देवता यहाँ पूजा करते हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं, जिसे भू वैकुंठ कहा जाता है अर्थात 'इस भू मंडल का, इस भूमि का, इस मृत्यु लोक का वह बैकुंठ स्थान है'. यहाँ छः माह मानव और छः माह देवता पूजा करते हैं, और कपाट खुलने पर अखंड ज्योति जलती हुई मिलती है, जिसे आदि शंकराचार्य ने पुनर्स्थापित किया था.