सुबह 6 बजे बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं, जिसके बाद महाभिषेक पूजा और विशेष आरती जारी है. पुरोहितों के अनुसार, मंदिर के पीछे स्थित नारायण पर्वत शेषनाग का रूप है जो मंदिर की रक्षा करते हैं, जबकि उर्वशी पर्वत भगवान विष्णु की तपस्या स्थली से जुड़ा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यहाँ ध्यान और दर्शन से आध्यात्मिक शांति मिलती है और यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है.