भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी या हेरंभ संकष्ठी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. यह व्रत संतान की सुरक्षा, उन्नति और प्राप्ति के लिए किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन माताएं गाय और उनके बछड़े की पूजा करती हैं. भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय, भगवान श्री कृष्ण, माता पार्वती और भगवान शिव की भी उपासना की जाती है. इस व्रत को करने से जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है, संतान की बुद्धि में सकारात्मक वृद्धि होती है और उनके जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है. धर्मशास्त्री बताते हैं कि गौ माता की पूजा से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने बहुला गाय की परीक्षा ली थी और उसके सत्यनिष्ठा से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि "आज से जो भी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गौ माता की पूजा करेगा। उसकी संतान के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे." गणपति की उपासना से संकट नष्ट होते हैं, संतान संबंधी समस्याओं का समाधान होता है और कार्यों की बाधाएं दूर होती हैं. धन और कर्ज से जुड़ी परेशानियां भी दूर होती हैं. इस दिन गरीबों को दान करने से भी सुख-संपन्नता आती है.