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Kaliyuga में गीता का सार: कृष्ण की शिक्षाएं और जीवन का कर्तव्य

गीता सभी के घरों में मौजूद है, लेकिन इसका पूरी तरह से अध्ययन और जीवन में इसका पालन कम ही लोग कर पाते हैं. लोगों का मानना है कि गीता की शिक्षाओं का पालन करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. हालांकि, भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य कल्याण के लिए ही गीता का ज्ञान दिया. गीता में कहा गया है कि पीपल के वृक्ष में भूत, भविष्य और वर्तमान सब है, और कृष्ण अनुभूति के लिए पीपल के वृक्ष के पास बैठना चाहिए. भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य का पालन करने और धर्म के विरुद्ध बातों पर अपनी बात रखने की शिक्षा दी. गीता का एक महत्वपूर्ण संदेश यह भी है कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सब भगवान की इच्छा से हो रहा है. जीवन में आने वाले कष्टों को भगवान की मर्जी मानकर समर्पण करने से उनसे बाहर निकला जा सकता है. भगवान श्री कृष्ण का अवतार विशेष रूप से कलयुग के लिए था, ताकि दुष्टों का विनाश हो और धर्म की स्थापना हो. जैसा कि कहा गया है, "परित्राणाय साधु नाम बिना साहित्य दुष्कर्म धर्म संस्थापनार्थाय संभवामी युग युग". कलयुग में जीवन जीने की कला भगवान श्री कृष्ण से सीखी जा सकती है.