7 सितंबर को एक विशेष खगोलीय घटना होने जा रही है, जब भारत सहित पूरी दुनिया चंद्रग्रहण की साक्षी बनेगी. इस ग्रहण का प्रभाव सदैव अदिष्टकारी होता है, जो जड़ और चेतन दोनों को प्रभावित करता है. ग्रहण के कारण जल से संबंधित अचानक आपदाएं और अन्य अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं, जिसका विशेष प्रभाव लगभग एक से सवा महीने तक रहेगा. इस अदिष्टकारी समय में भगवान के नाम का जाप और स्मरण करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की विपदा से बचा जा सके. ग्रहण काल में खाने-पीने से परहेज करें और भोजन में तुलसी दल या कुषा डालकर रखें. ग्रहण समाप्त होने पर स्नान करें, मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें और सफेद वस्तुओं जैसे चावल, चीनी, आटा, दूध, दही, सफेद वस्त्र और पुष्प का दान दक्षिणा सहित करें. दान करने से आत्मा पवित्र होती है और किए गए पापों का शमन होता है, जिससे परम पुण्य की प्राप्ति होती है. गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर कुछ नियम कम लागू होते हैं, लेकिन सामान्य सावधानियां सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं.