scorecardresearch

Deepak जलाने के शास्त्रीय विधान: जानें किस कामना के लिए कौन सा दीप जलाएं

हिंदू धर्म में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि घर में दीपक जलाने से वास्तु दोष दूर होते हैं और जीवन से अंधकार मिटता है. शास्त्रों में अलग-अलग कामनाओं के लिए अलग-अलग दीपक के जलाने का विधान बताया गया है. पूजा में घी का दीपक देवों की कृपा दिलाता है तो सरसों के तेल का दीपक शत्रुओं का नाश करता है. आर्थिक लाभ के लिए रोजाना देसी घी का दीपक जलाने का विधान है. शत्रु भय दूर करने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है. राहु-केतु के लिए अलसी के तेल का दीपक और हनुमत कृपा के लिए चमेली के तेल का दीपक जलाने का विधान है. अलग-अलग देवों की कृपा पाने के लिए अलग-अलग बत्ती से दीपक जलाने का शास्त्रीय विधान भी बताया गया है. एक बाती का दीपक घर में सुख और समृद्धि की वृद्धि करता है, जबकि चतुर्मुखी दीपक विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए जलाया जाता है. माँ भगवती और माँ सरस्वती की आराधना में दो बत्ती का दीपक, गणपति की कृपा के लिए तीन बत्ती का दीपक और माँ लक्ष्मी की कृपा के लिए सात मुखी दीया जलाने का विधान है. रोगों के निवारण हेतु सरसों के तेल का दीपक जलाने का विधान बताया गया है. इष्ट सिद्धि के लिए गहरा और गोल दीपक, तथा शत्रुओं से बचने के लिए बीच से उठा हुआ दीपक प्रयोग करना चाहिए.