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Devshayani Ekadashi: श्रीहरि की योग निद्रा का सच, शिव संभालेंगे सृष्टि का संचालन! जानिए

देवशयनी एकादशी एक पावन दिन है जब श्रीहरि की कृपा प्राप्त की जा सकती है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में पाताल लोक में विश्राम करते हैं. मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से अगले चार माह तक शुभ कार्य करने की मनाही होती है क्योंकि इस समय सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेज कम होता जाता है, जिससे शुभ शक्तियां कमजोर होती हैं. इन चार माह के दौरान भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. भगवान विष्णु अपनी सत्ता मां लक्ष्मी को सौंप देते हैं और मां लक्ष्मी ये शक्तियां भगवान शिव को दे देती हैं. इस एकादशी को पद्मा एकादशी या हरि सैनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है, उसे कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, नारायण ने वामन अवतार लेकर दैत्य राज राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी. राजा बलि की दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें वरदान मांगने को कहा, जिस पर बलि ने उन्हें अपने महल में रहने की इच्छा जताई. मां लक्ष्मी ने बलि को अपना भाई बनाकर भगवान को वचन मुक्त करने का अनुरोध किया, तब बलि ने कहा कि वर्ष के चार माह नारायण पाताल लोक में शयन करें. एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्री राम के पूर्वज सम्राट मानता के राज्य में अकाल पड़ने पर अंगीरा ऋषि ने उन्हें आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का व्रत करने की प्रेरणा दी थी, जिससे उनके राज्य में वर्षा हुई और प्रजा सुखी हुई. इस दिन उपवास करके या चार माह के लिए किसी विशेष वस्तु का त्याग करके भगवान नारायण से वरदान मांगने पर कामनाएं पूर्ण होती हैं. देवशयनी एकादशी पर श्रीहरि की विशेष पूजा से सामूहिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है, दुर्घटनाओं के योग टल जाते हैं और व्यक्ति का मन शुद्ध होता है.