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Kartik Purnima: कार्तिक पूर्णिमा के दिन जरूर करें इन चीजों का दान, घर में आएगी सुख-समृद्धि

कालांतर में देव दीपावली उत्सव की आभा और जगमगाहट वक्त के गुबार में खोती चली गई. काशी की कहानियों और काशी की यादों से देव दीपावली नाम के इस उत्सव की हर तस्वीर धुंधली हो गई. लेकिन साल 1987 में काशी के घाटों पर देव दीपावली की चमक को फिर से बिखेरने की शुरुआत हुई. बताया जाता है कि नेपाल से भारत आकर बसे मंगला गौरी मंदिर के महंत पंडित नारायण गुरु ने काशी में देव दीपावली की परंपरा का फिर से शुभारंभ करवाया.

Every picture of this festival named Dev Diwali got blurred with the stories of Kashi and memories of Kashi. But in the year 1987, the glow of Dev Diwali started again on the ghats of Kashi.