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Ganpati Visarjan के नियम, पूजा विधि और छात्रों के लिए विशेष उपाय

गणपति उत्सव के दौरान भक्त डेढ़ दिन से लेकर 10-11 दिनों तक बप्पा को अपने घर लाते हैं. भक्ति और समर्पण के अनुसार फल प्राप्त होता है. गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणपति की आराधना का विधान है. व्यस्तता के कारण भक्त डेढ़, तीन, पांच, सात या दस दिन में विसर्जन कर सकते हैं. गणेश जी का सहस्त्र अर्चन दुर्बा, मोदक और लाजा से करना चाहिए. विसर्जन के समय भी विधिवत पूजन और आरती का विधान है. देवताओं का आह्वान कर उनका विसर्जन किया जाता है. यह महत्वपूर्ण है कि गणपति का विसर्जन नहीं होता है, केवल पार्थिव मूर्ति का विसर्जन होता है. "गणपति का विसर्जन नहीं होता है गणपति, उबेर और लक्ष्मी। इन तीन का यदि हमने विसर्जन कर दिया तो हमारी जिंदगी से धन, धान्य, ज्ञान, विवेक, बुद्धि सब खत्म हो जाएगी।" सूक्ष्म गणेश घर में ही निवास करते हैं. पुणे में महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में अथर्वशीर्ष का पाठ किया. विभिन्न राशियों के लिए बुध को मजबूत करने और बप्पा की कृपा पाने के लिए उपाय बताए गए हैं, जैसे बच्चों को नाशपाती दान करना, गाय को घास खिलाना, पिस्ता की मिठाई चढ़ाना, विधारा की जड़ धारण करना, बंदरों को अमरूद खिलाना और पत्तों का दान करना. छात्रों के लिए कच्ची हल्दी, सुपारी और सिंदूर से 'ओम गण गणपतये नमः' मंत्र का जप करने और गणपति, लक्ष्मी, सरस्वती की मूर्ति स्थापित करने का विशेष उपाय बताया गया है. गणपति के दक्षिण भारत जाने की कहानी भी बताई गई.