बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सुबह 6 बजे छह महीने के शीतकालीन प्रवास के बाद विधि विधान और मंत्रोच्चारण के साथ खुल गए हैं. हज़ारों श्रद्धालु मोक्ष की कामना लिए दर्शन हेतु कतारों में लगे हैं, मान्यता है कि 'जो आये बदरी वो न आये ओदरी', अर्थात यहाँ आने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है. मंदिर परिसर को 40 क्विंटल फूलों से सजाया गया है और लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए, जिससे उत्सव का माहौल है. पुरोहितों के अनुसार, यहाँ हज़ारों साल पुराने बही-खाते मौजूद हैं, जिनमें पूर्वजों के आने का रिकॉर्ड दर्ज है. विशेषज्ञों का मानना है कि धाम तक पहुंचना ही नहीं, बल्कि सच्ची भावना सर्वोपरि है, जैसा कि संजीव अग्निहोत्री जी ने कहा, 'भावना ही प्रधान है भावों ही बिद्यते देव.' बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर महाभिषेक पूजा चल रही है. पुरोहित जी ने बताया कि नारायण पर्वत शेषनाग का अवतार है और उर्वशी पर्वत का संबंध भगवान विष्णु की तपस्या और उर्वशी की उत्पत्ति से है. संजीव जी ने कहा, 'परमात्मा के बिना तो कुछ भी पत्ता नहीं हिलता है,' और रविवार को रवि पुष्य अमृत योग के कारण दर्शन का पुण्य लाख गुना बढ़ गया है.