पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा एक वार्षिक उत्सव है जहाँ भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं। यह यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया से प्रारंभ होकर नौ दिनों तक चलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, "जो रथ में तीनों भगवान को देखेगा और एक बार ये रथ का रस्सी को पकड़ के खींचेगा तो उसका जितना सारा पाप है वो धुल जाता है और उसका पुनर्जन्म नहीं होता।" इस यात्रा में भगवान गुंडिचा मंदिर जाते हैं और फिर बहुड़ा यात्रा के रूप में अपने मंदिर लौटते हैं, जिसमें छेरा पहाड़ा और सोना भेषा जैसी कई अनूठी परंपराएं निभाई जाती हैं।