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Acchi Baat: जब असली ब्रह्मा हुए अपने ही लोक में बंदी! चरित्र ही क्यों है श्रेष्ठ?

प्रवचन में कहा गया कि 'चित्र की पूजा नहीं चरित्र की पूजा होती है.' भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रह्मा जी को उनके ही लोक में भ्रमित करने और इंद्र का मान मर्दन करने हेतु गोवर्धन पर्वत धारण करने की लीलाओं का वर्णन किया गया. जीवन में मुस्कुराहट और 'राम राम' नाम सुमिरन के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया.