गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु और शिष्य के पवित्र बंधन का प्रतीक है. शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ बताया गया है. गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव है, क्योंकि अज्ञान एक अंधकार की तरह है जिसमें इंसान तब तक भटकता है जब तक कोई गुरु उसका हाथ नहीं थाम लेता. गुरु ही इंसान को संसार के मायावी बंधनों से मोक्ष की राह दिखाते हैं और सत्य व भ्रम की समझ देते हैं. इस दिन गुरु की उपासना सच्चे मन से करनी चाहिए. गुरु को दंडवत प्रणाम करें, उनके चरण स्पर्श करें, उन्हें भेंट दें और यथाशक्ति फल, मिठाई, दक्षिणा अर्पित करें. गुरु पूर्णिमा के दिन विष्णु मंदिर में पीली चीजें जैसे केला, चने की दाल, हल्दी, केसर मिला दूध आदि का दान करना शुभ माना जाता है. जरूरतमंद छात्रों को पढ़ाई से जुड़ी सामग्री जैसे कलम, पेंसिल, किताब, धार्मिक पुस्तक आदि का दान भी करें. यह उत्सव गुरुओं के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने के लिए समर्पित है, जिन्होंने शिष्यों के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. गुरु के आशीर्वाद में इतनी शक्ति होती है कि भाग्य का लेखा भी बदल सकता है. इस दिन गुरु को सफेद या पीले फूल अर्पित करना उत्तम होता है. गुरु पर पूर्ण श्रद्धा रखें और उनकी बातों का निरादर न करें.